Sunday, September 29, 2024
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स्वेच्छा से तबादला कराने वाले प्राइमरी स्कूल टीचरों को नहीं मिल सकता पे प्रोटेक्शन का लाभ: हाई कोर्ट

प्रयागराज (हि.स.)। इलाहाबाद हाई कोर्ट के दो जजों की खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश में एक जिले से दूसरे जिलों में स्वेच्छा से तबादला कराकर आए प्राइमरी स्कूल के अध्यापकों को पे प्रोटेक्शन (वेतन सुरक्षा) का लाभ देने से मना कर दिया है। हाई कोर्ट ने कहा है कि किसी को भी एक साथ हाट एंड कोल्ड खेलने की अनुमति नहीं दी जा सकती।

अंतरजनपदीय तबादला नीति के अंतर्गत याची अध्यापकों ने इस शर्त पर तबादला लिया कि वे प्रोन्नति नहीं लेंगे और सहायक अध्यापक के निचले पायदान पर कार्य करेंगे। बाद में याचियों ने अपने समय के कार्यरत अध्यापकों के बराबर वेतनमान की यह कहते हुए मांग की कि उन्हें समान स्थिति के अध्यापकों से कम वेतन दिया जा रहा है और पदोन्नति नहीं दी जा रही है।

याची अध्यापकों की याचिका पर एकलपीठ ने मांग स्वीकार कर जो राहत नहीं पा सकते थे, वह भी प्रदान करने का आदेश दिया। जिसे बेसिक शिक्षा अधिकारी ने विशेष अपील में चुनौती दी थी। खंडपीठ ने अपील स्वीकार करते हुए एकलपीठ के आदेश को रद्द कर दिया तथा दुबारा सुनकर निर्णय लेने का निर्देश देते हुए पत्रावली वापस भेज दी है तथा बेसिक शिक्षा अधिकारी मऊ को निर्देश दिया है वह 4 सप्ताह में मूल याचिका में जवाब दाखिल करें। यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी तथा न्यायमूर्ति अनीस कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने बेसिक शिक्षा अधिकारी उप्र इलाहाबाद एवं अन्य की तरफ से दाखिल विशेष अपील को मंजूर करते हुए दिया है।

विशेष अपील पर बेसिक शिक्षा परिषद के अधिवक्ता रामानंद पांडेय का तर्क था कि जिस अभय कुमार पाठक केस के आदेश का सहारा लेकर एकलपीठ ने प्रोन्नति व चयन वेतनमान देने का आदेश दिया है, उस आदेश में भी कोर्ट ने ऐसी राहत नहीं दी है। याचियों ने स्वयं ही अपनी पसंद के जिले मऊ में यह कहते हुए तबादला लिया था कि वे पदोन्नति व सहायक अध्यापक के पद पर काम करेंगे। हालांकि उनमें से कुछ प्राइमरी स्कूल या जूनियर हाईस्कूल के प्रधानाध्यापक थे और सहायक अध्यापक पद पर अपने नये जिले में कार्यभार संभाला। अंतरजनपदीय तबादला नीति की यह शर्त भी है। इसलिए अब वे समान स्थिति के अध्यापकों के समान लाभ की मांग नहीं कर सकते। एकलपीठ ने विपिन कुमार केस के आदेश पर विचार नहीं किया। इसलिए एकलपीठ का आदेश रद्द किया जाय।

कोर्ट ने कहा कि याचीगण टीचर एक साथ गर्म व ठंडा नहीं ले सकते। साथ ही यह मांग विबंध न्याय (रेसजूडिकेटा) के सिद्धांत के विपरीत है। विपिन कुमार केस में वेतन संरक्षण का आदेश इस मामले में लागू नहीं होगा। याची विपक्षियों ने स्वेच्छा से पदोन्नति व चयन वेतनमान छोड़ने का फैसला लेकर तबादला स्वीकार किया है। अब उन्हें अन्य समान अध्यापकों के बराबर चयन वेतनमान व प्रोन्नति की मांग करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।

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