Monday, March 31, 2025
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दिल्ली विधानसभा में कैग की रिपोर्ट पेश, आप सरकार की आबकारी नीति के कारण 2000 करोड़ रुपये से अधिक के राजस्व का नुकसान

नई दिल्ली (हि.स.)। दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने मंगलवार को विधानसभा में भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट पेश की। रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछली आम आदमी पार्टी (आप) सरकार की आबकारी नीति के कारण 2000 करोड़ रुपये से अधिक के राजस्व का नुकसान हुआ।

सीएजी रिपोर्ट में उल्लेख किया गया कि दिल्ली सरकार को अपनी 2021-22 की आबकारी नीति में खामियों के कारण 2,026.91 करोड़ रुपये का भारी वित्तीय झटका लगा है। इसमें दिल्ली आबकारी शराब नीति में कथित अनियमितताओं सहित पिछली आआपा सरकार के दौरान कथित वित्तीय अनियमितताओं पर प्रकाश डाला गया है। इस रिपोर्ट में भारत में निर्मित विदेशी शराब (आईएमएफएल) और दिल्ली में विदेशी शराब के विनियमन और आपूर्ति की जांच के लिए 2017-18 से 2021-22 तक चार वर्षों की अवधि को कवर करते हुए दिल्ली में शराब के विनियमन और आपूर्ति पर किए गए निष्पादन लेखापरीक्षा के परिणाम शामिल हैं। वर्ष 2017-21 की अवधि के लिए लेखा परीक्षा निष्कर्षों में लाइसेंस प्रदान करने में उल्लंघन करने के साथ ही आईएमएफएल के मूल्य निर्धारण में पारदर्शिता की कमी, शराब की गुणवत्ता पर अपर्याप्त नियंत्रण, राजस्व रिसाव की समय पर पहचान और रोकथाम व शराब की तस्करी के खिलाफ कार्रवाई के संबंध में कमजोर नियामक कार्यप्रणाली, दिल्ली आबकारी अधिनियम अथवा नियमों के उल्लंघन के मामलों में साक्ष्य संग्रह और पुष्टि में कठोरता की कमी आदि शामिल हैं।

यह रिपोर्ट नई आबकारी नीति (2021-22) में कमियों को भी सामने लाती है। इसमें नई आबकारी नीति के गठन के लिए बदलावों का सुझाव देने के लिए गठित विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों की अनदेखी करना। राज्य के स्वामित्व वाली थोक इकाई के बजाय निजी संस्थाओं को थोक लाइसेंस प्रदान करना, प्रति बोतल वसूले जाने वाले आबकारी शुल्क के स्थान पर लाइसेंस शुल्क में उत्पाद शुल्क का अग्रिम प्रभार लगाना और आवेदक को अधिकतम 54 खुदरा दुकानें प्राप्त करने की अनुमति देना, जबकि एक व्यक्ति को अधिकतम दो दुकानें आवंटित की जाती हैं। लेखा परीक्षा निष्कर्षों का कुल वित्तीय निहितार्थ लगभग 2,026.91 करोड़ रुपये है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि अब समाप्त हो चुकी नीति के गठन में बदलाव के सुझाव देने के लिए गठित विशेषज्ञ पैनल की सिफारिशों को तत्कालीन उपमुख्यमंत्री और आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया ने नजरअंदाज कर दिया था।

इसके अतिरिक्त, रिपोर्ट में कहा गया है कि लाइसेंसों के सरेंडर और शराब क्षेत्रों के लिए पुनः निविदा जारी करने में विभाग की विफलता के कारण आबकारी विभाग को 890.15 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। कैग रिपोर्ट में कोविड-19 प्रतिबंधों का हवाला देते हुए लाइसेंस धारकों को दी गई 144 करोड़ रुपये की अनियमित छूट पर भी प्रकाश डाला गया है, जिसे वित्त विभाग की आपत्तियों के बावजूद मनीष सिसोदिया ने व्यक्तिगत रूप से मंजूरी दी थी।

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