Tuesday, October 22, 2024

Daily Archives: Mar 9, 2020

सोचता हूँ- सुधेश

सोचता हूँ आज यह करूं वह करूं लेकिन करने को इतना है सोचता रहा पहले क्या करूं सोचते सोचते नींद ने घेरा फिर ख्वाब में कोई बोला आज दिन भर...

परिवर्तन- रजनी शाह

हम चल रहे कहाँ है हम तो केवल हिल रहे है अगर सही में चले होते तो कहीं पहुँचते कुछ खास करते कुछ परिवर्तन लाते हम तो केवल और केवल हिल...

मेरे हर इक आंसू- जयलाल कलेत

मेरी सिसकती आवाज का, मैं ही गुनहगार हूँ, मेरे हर इक आंसू का भी, मैं ही गुनहगार हूँ अपनी हवेली पर खुद ही, हमले किए हमने, अपनी बरबादी का, मैं ही...

माँ और मैं- रश्मि अग्रवाल

1 माँ और मैं माँ! एक सूत्र के द्वारा तुमसे, जब जुड़ी मैं तुम्हारी कोख में तब तुम बाहर से सहलातीं, बतियातीं मैं अन्दर से सब समझ लेती, सुन लेती कुछ...

ओ रंगों के त्यौहार- जया वैष्णव

ओ रंगों के त्यौहार मेरे मन को रंगों से भर दो ओ रंगों के त्यौहार खालीपन को तुम रंग बिरंगे फूलों से भर दो ओ फागुन के त्यौहार लाल पीला...

यादों के रंग- डाॅ रंजना शरण सिन्हा

तुम्हारी याद- चमकीले धागों से सजी एक सुहानी सबह की लाल-गुलाबी झील; मूंगे के रंग में ख़ुद को डुबो देना चाहती हूँ! तुम्हारी याद- एक शांत स्याह रात का धुंधला नीला ताल; ठहरे...

लगातार बढ़ रही कोरोना संक्रामित लोगों की संख्या, अब तक 43 मामले आये सामने

अब तक देश में कोरोना वायरस से संक्रमण के कुल 43 पुष्‍ट मामलों की जानकारी मिली है। (केरल में संक्रमित तीन लोगों को उपचार...

आज होगा होलिका दहन, कल खेली जाएगी होली

हिन्दुओं के प्रमुख त्योहारों में होली के त्यौहार का विशेष धार्मिक महत्व होता है, हिन्दू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा की रात्रि...

दिल तो दिल था- सीमा विजयवर्गीय

काटकर जंगलों को, संवरता रहा शहर ये रोज़ आगे ही बढ़ता रहा छोड़कर इक पुरानी धरोहर को वो केंचुली रोज़ अपनी बदलता रहा एक कम्बल भी हासिल नहीं...

साहित्यकार- अल्का जैन

उनींदे सन्नाटे पर किसी ने बार किया रेत दिया गला किसी की चीख़ ने रात की गहरी ख़ामोशी का बहुत बुरा होता है ये आघात क्या-क्या नहीं होता रात...

पहचान- डाॅ भावना सिन्हा

ढूँढने पर भी अब नहीं मिलता एक भी बुरा आदमी दिखते हैं तो सिर्फ अच्छे आदमी हमारे सामने अच्छे आदमी के वेश में बुरे आदमी है असंख्य अच्छा आदमी बना बुरा आदमी साथ...

होली के रास-रंग में- चन्द्र विजय प्रसाद चंदन

होली के रास-रंग में, बूढ़वन सब बौराये हैं पिचक चुके गालों पे, इत्र लगाके इतराए हैं फागुन के मस्ती में देखो कैसे जवानी छाइ है पोपले मुँह...

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