Monthly Archives: March, 2020
पहचान- डाॅ भावना सिन्हा
ढूँढने पर भी
अब नहीं मिलता
एक भी बुरा आदमी
दिखते हैं तो सिर्फ अच्छे आदमी
हमारे सामने
अच्छे आदमी के वेश में
बुरे आदमी है असंख्य
अच्छा आदमी बना
बुरा आदमी
साथ...
होली के रास-रंग में- चन्द्र विजय प्रसाद चंदन
होली के रास-रंग में, बूढ़वन सब बौराये हैं
पिचक चुके गालों पे, इत्र लगाके इतराए हैं
फागुन के मस्ती में देखो कैसे जवानी छाइ है
पोपले मुँह...
प्रीत के निष्पंक साथी- कृष्णदेव चतुर्वेदी
प्रीत के निष्पंक साथी
बोल लो निस्पृह वाणी
चक्षुओं से बह रहा है
प्रश्न करता नेह-पानी
सींच कर उसर हृदय को
उर्वरा करने की ठानी
मेघरानी ले के पावस
आज बरसी...
यह आकाश- राजीव कुमार
यह आकाश है
रात का आकाश रंगबिरंगी रोशनी से भरा
कितना खामोश हो गया
थोड़ी देर पहले तुमने पुकारा
शाम ने अपना घुँघट हटाया
चाँद बादल को पास बुलाता...
प्यार का यह संगम- संजू वर्मा
चाहत तो थी
बस एक बेटा जनने की
पर यह नासपीटा भगवान सुने तब ना
सुनता तो क्यों एक पर एक दो बेटियां होती कहते-कहते रमा की...
कवि की हर वो परिस्थिति जो उसे स्पंदित करे, कविता हो जाती है- डॉ भावना
डॉ भावना सिर्फ बिहार ही नहीं आज देश की जानी-मानी कवयित्री हैं। उनका लेखन उनके पाठकों को खासा प्रभावित करता है। उनकी रचनाएं देश...
फूलों की घाटी की सैर- डॉ मीरा रामनिवास
मुझे ट्रैकिंग और यात्रा प्रवास करने का बड़ा ही शौक है और इसे पूरा करने के लिए यदा यदा निकल पड़ती हूँ, प्राकृतिक सौन्दर्य...
आगाज़- संजू वर्मा
(ब्रह्मलोक में ब्रह्मा जी ध्यान मग्न बैठे हैं ।तभी एक दूत का प्रवेश होता है ।)
दूत- 'महाराज मादा जीवात्माओं ने स्ट्राइक कर दिया है।'
ब्रह्मा-...
औरत- रंजिता सिंह
औरत तब तक चाँद होती है
जब तक वो प्रेयसी हो, प्रेमिका हो
पत्नी होते ही
हो जाती है
ड्राईंग रूम
कीमती फानूस
एन्टीक लैम्प
या फिर
बैडरूम की
मद्धिम नीली रोशनी
-रंजिता सिंह...
जो हैं मेरी साँसों में- सीमा विजयवर्गीय
नए आशियाने बनाने चले हैं
वो खंडहर पुराने ढहाने चले हैं
जो हैं मेरी साँसों में, रग-रग में शामिल
वो ही आज मुझको भुलाने चले हैं
अभी सीख...
कुछ तो चाहत रहने दे- डॉ भावना
कुछ तो चाहत रहने दे
मुझपर तोहमत रहने दे
अपनी तबीयत कह दे बस
मेरी तबीयत रहने दे
कितना खुद को बदलूँ मैं
कुछ तो आदत रहने दे
ख़ौफ़ खुदा...
आज़ाद ख़याल को सज़ा-ए-मौत- नरेश शांडिल्य
तुमने दी
आज़ाद ख़याल को सज़ा-ए-मौत
और डाल दिया उसे सींखचों के पीछे
एक दिन...
तुमने सोचा
जेल में पड़े-पड़े अब तक वो
हो चुका होगा पागल
नोंचता रहता होगा अपने...