Sunday, October 27, 2024

Yearly Archives: 2020

मातृ दिवस विशेष-माँ- राम सेवक वर्मा

यादों के झरोखे से मैंने, जब अपनी माँ को देखा सामने आ गई उन लम्हों की, समस्त रूप रेखा जब घर में नहीं थे, खाने को निवाले फसलों पर...

महाराणा प्रताप- शिवम मिश्रा

मात्रभूमि पर मिटने वाला वीर प्रताप महाराणा था चेतक जिसका घोड़ा चित्तौड़गढ़ का महाराजा था हाथ में जिसके रहता भाला शूरवीर वो मस्त मतवाला था महा प्रतापी राजा वो शूरवीर राज्य...

हमारी आँखों की- तृप्ति चौहान

किसी ने हमारी आँखों की खूबसूरती को अपने लफ़्ज़ों में बयां किया था, किंतु आज वो लफ़्ज़ जिंदगी की रफ्तार में खो से गए हैं आज आँखें भी खफ़ा है उनकी...

मातृ दिवस- गरिमा राकेश गौतम

ऐसे में माँ तेरी याद आयी माँ मुझे तेरी बहुत याद आयी क्यों आयी पता नही पर आँख भर आयी याद आया मुझे माँ तेरा बाल बनाना अलग-अलग लिबास में तेरा...

चौबीस घंटे में सामने आए कोरोना के 3390 मामले, देश में रिकवरी दर 29.36 प्रतिशत हुई

देश मे अब कुल मामलों की संख्या 56,342 तक पहुंच गई है। कल से अब तक देश में कोविड-19 के 3390 मामले सामने आए...

ब्वाॅयज लाॅकर रूम: साइबर अपराध या सामाजिक नैतिक पतन- मोहित कुमार उपाध्याय

आधुनिक जीवन में हम सामान्य शब्द ज्ञान की सीमा के सहारे अगर ब्वाॅयज लाॅकर रूम शब्द का अर्थ जानने की कोशिश करें तो इसका...

माँ- प्रीति वर्मा

फूलों की जैसी कोमल पथर की जैसी कठोर हृदय है उसका जिस ने जन्म दिया कहते हैं जिसे माँ फूल तो होते हैं सुन्दर परंतु मुरझा जाते हैं एक दिन पर...

आज दिल बहुत बेचैन है- सोनल ओमर

आज दिल बहुत बेचैन है, एक पल इसे न चैन है ज़िन्दगी की उथल-पुथल में, सोया दिन जागी रैन है आज दिल बहुत बेचैन है नये सवेरे की आस...

तुम मेरी पहली और मैं तुम्हारी आखिरी मुहब्बत- पायल विशाल

तुम मेरी पहली और मैं तुम्हारी, आखिरी मुहब्बत इन लिखे हुए अल्फ़ाजों में, अब सिमट चुकी मुहब्बत ना हमने बयां की, खुलकर दिल की बात कैसे करती? डर लगता था क्या करूंगी? ग़र...

ग़म नहीं है- दिव्यांशु आशीष

बस तुम्हें सब कुछ समझ, मैंने इबादत की तुम्हारी पर गये तुम मार ठोकर, कहा मुझको अहंकारी इस जमाने में खामोशी भी बहुत कुछ बोलती है, पढ़...

ज़िन्दगी ज़िद पर अड़ी है- शालू राजपूत

आज मौत मुहाने पर खड़ी है जिंदगी, जीने की ज़िद पर अड़ी है दुश्मन फैला है चारो तरफ हवाओं में जहर घुल गया है वतन की फिजाओं...

आशा- आशा सिंह

दिल अब छोटा न रहा, और न ही छोटी रही आशा अब छोटी न मैं रही, न ही छोटे हैं सपनें मेरे ऊँची उड़ान के लिए, तैयार कर रहीं...

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