हिन्दी सिर्फ़ एक भाषा नहीं भावना है ये
भाव-विचार के सम्प्रेषण की आत्मा है ये
शुद्धता है इसमें माँ नदी गंगा के जल सी
शब्द-शब्द में विशुद्धियों का खात्मा है ये
प्राण बसते इसमे ही प्राण भर देती है माँ
हर हिन्दुस्तानी की ख़ातिर परमात्मा है ये
सहयोग दया करुणा भावों की जननी
सदाचरण की विकसित सी भावना है ये
आसां अद्भुत अनोखी अभिव्यक्ति-धनी
प्रेम की परिभाषा का पूर्ण आईना है ये
-अनामिका वैश्य आईना
लखनऊ