छप्पन इंच का सीना ताने, तैनात था जवान ह्रदय
अपने नापाक इरादे को, अंजाम दे गया आतंकी निर्दय
बहादुर सीना फटकर टूटा, मातृभूमि के आँचल में
वह चला गया और छोड़ गया, छाती पीटती माँ घर में
जन्नत-सी घाटी में, अब बह रही खून की गंगा
हैं लहू खौलता भारत का, कहता एक को भी न छोडूंगा
जननी का अंचल दूर कर, भारत माँ का आँचल थामा
मातृभूमि की रक्षा करने, निकली सेना पहन वीर जामा
यह वीर मर्दानों का देश है, करते नहीं पीछे से वार
मजहब के भेद नहीं हम, भारत समरसता का संसार
हमारी इस चुप्पी को देख, न समझ हमें कायर ओ बुज़दिल
देश का हर एक फौज़ी है, तेरे टुकड़े करने के काबिल
हुआ शहीद है पुत्र हमारा, पर उसका बलिदान इतिहास रचेगा
सिर एक कटा तो, फिर सौ लाख उठेगा
आज घाटी में अँधियारा है, कल विजय सूरज उगेगा
-एच के रूपा रानी