है महफ़िल महफ़िल तन्हाई
ये बात समझ में अब आई
खुशियों ने करवट बदली है
दर्दों ने ली है अँगड़ाई
मुझे समझना दिल से तुम
करना नहीं कभी रुसवाई
जब से प्यार हुआ तुमसे
तन-मन में महके पुरवाई
बारात सजी अरमानो की
प्रेम गीत बजती शहनाई
मंत्र जाप करो पवित्रतम
मंगलमयी करो अंगनाई
प्रेम समर्पित करके तुमको
प्रीत की सारी रस्म निभाई
-अनामिका वैश्य आईना
लखनऊ