दुआ
यदि क्रोध में
खा लिया जहर तो
ढ़हे न कहर
उतरे न कंठ से
कोई मीठा जहर
खा भी लिए
तो जीवन
सलामत रहे
अभिशाप
मृत्यु वरदान या
अभिशाप
वो आया और
इस प्रश्न पर
आकर ठहर गया
कुछ देर बाद
उसने लिखा
जीवन से
मुक्ति का
सुगम मार्ग
वरदान या
अभिशाप नहीं
बैताल
जोश में एक दिन
पानी की टंकी पर
चढ़ गया बैताल
धूप बहुत तेज थी
नीचे उतरा और
बोला मुझे पानी दो
मोची
जूता पाॅलिश करते हुए
मोची को
उसने मेहनताना
नहीं दिया
दिन भर का थका हारा घर लौटा
तो उसके पांव छिल गए थे।₹
कब्रिस्तान
कब्रिस्तान में किसी कब्र के
सामने एक आदमी सोच रहा था
कभी मुझे भी यही आकर
सुपर्द-ए-ख़ाक होना है
-भुवनेश्वर चौरसिया ‘भुनेश’
२८८/२२,नियर हनुमान मंदिर,
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