नई दिल्ली (हि.स.)। पूर्वी लद्दाख के डेप्सांग और डेमचोक में भारत और चीनी सैनिकों की गश्त शुरू हो गई है। गलवान घाटी में खूनी संघर्ष के बाद साढ़े चार साल से वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के इन दोनों क्षेत्रों में गश्त बंद थी, जिसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। सैन्य विघटन पूरा होने के एक दिन बाद दिवाली के मौके पर दोनों देशों के सैनिकों ने एक-दूसरे को मिठाइयों का आदान-प्रदान किया।
भारत-चीन के बीच तमाम सैन्य और कूटनीतिक प्रयासों के बाद 21 अक्टूबर को दोनों सेनाओं के बीच गश्ती समझौते पर सहमति बनने की घोषणा की गई थी, जिसका उद्देश्य सीमा पर साढ़े चार साल से चल रहे तनाव को खत्म करना था। डिसएंगेजमेंट डील में डेप्सांग और डेमचोक से सैनिकों और बुनियादी ढांचे को हटाने और अप्रैल, 2020 से पहले की स्थिति में सैनिकों को वापस बुलाने की बात कही गई थी। इसी समझौते के आधार पर 25 अक्टूबर को भारतीय सैनिकों ने चीनी जवानों के साथ खुशनुमा माहौल में चाय पर चर्चा की और फिर उनसे ‘जय श्री राम’ का उद्घोष कराया। इसके बाद दोनों देशों के सैनिकों ने संबंधित क्षेत्रों में अपने-अपने हथियारों की वापसी शुरू कर दी।
भारतीय और चीनी सेना ने 28-29 अक्टूबर तक डिसएंगेजमेंट पूरा करके अपने-अपने गश्ती बिंदुओं तक पेट्रोलिंग शुरू करने का फैसला लिया था। इसी तय अवधि में विघटन प्रक्रिया पूरी की गई, जिसके तहत सभी अस्थाई ढांचे, टेंट और आश्रय स्थलों को हटा लिया गया। इसके बाद दिवाली के अवसर पर लद्दाख में चुशुल माल्डो और दौलत बेग ओल्डी सहित एलएसी के पांच बार्डर मीटिंग प्वाइंट (बीएमपी) पर सैनिकों ने गुरुवार को मिठाइयों का आदान-प्रदान किया।
समझौते के अनुसार दोनों पक्षों के ग्राउंड लेवल कमांडरों ने गश्त शुरू करने से पहले एक-दूसरे को अपने-अपने पेट्रोलिंग प्वाइंट की जानकारी दी, ताकि किसी भी तरह की गलतफहमी से बचा जा सके। दोनों पक्षों के पास डेप्सांग और डेमचोक में निगरानी के विकल्प जारी रहेंगे। भारतीय सेना ने 1 नवंबर से पूर्वी लद्दाख के डेमचोक सेक्टर में गश्त शुरू कर दी है। भारतीय सेना के अधिकारियों ने संकेत दिया है कि पहले डेमचोक क्षेत्र में अप्रैल, 2020 से पहले के स्तर पर गश्त बहाल की जाएगी। इसके बाद डेप्सांग सेक्टर में भी जल्द ही ऑपरेशन शुरू होने की उम्मीद है, जिससे रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इस क्षेत्र में भी सामान्य स्थिति की वापसी होगी।