हिन्दू धर्म में खरमास का विशेष महत्व है। ग्रहों के राजा सूर्यदेव जब देव गुरु बृहस्पति की राशियों जैसे की मीन या धनु में प्रवेश करते हैं। उस समय में खरमास लग जाता है। खरमास वर्ष में दो बार लगता है। खरमास की अवधि में कोई भी मांगलिक, वैवाहिक और शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं और न ही कोई नया कार्य आरंभ किया जाता है। खरमास के समय में विवाह, मुंडन, सगाई, जनेऊ, गृह प्रवेश आदि जैसे शुभ कार्य नहीं किये जाते, इसके अलावा खरमास में लोग नया मकान बनवाने का शुभ कार्य नहीं करते हैं और न ही नई दुकान का शुभारंभ करते हैं। इस अवधि में नए वाहन की खरीदारी भी नहीं करते हैं।
अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार साल का पहला खरमास मार्च से अप्रैल के बीच में और दूसरा दिसंबर से जनवरी के बीच में लगता है। वर्ष 2024 का पहला खरमास 14 मार्च से लेकर 13 अप्रैल तक के बीच में लग चुका है। वहीं वर्ष 2024 का दूसरा खरमास रविवार 15 दिसंबर के दिन से लगेगा। इसका समापन बुधवार 15 जनवरी 2025 को मकर संक्रांति के दिन होगा। जब सूर्य ग्रह मकर राशि में प्रवेश करेंगे। उसके बाद खरमास का समापन हो जाएगा।
वर्ष 2024 का दूसरा खरमास रविवार 15 दिसंबर दिन को लगेगा। सूर्यदेव रविवार 15 दिसंबर को रात 8:49 बजे धनु राशि में प्रवेश करेंगे, ठीक इसी समय से खरमास का आरंभ हो जायेगा, वहीं अगले वर्ष 2025 में बुधवार 15 जनवरी को सूर्यदेव के मकर राशि में प्रवेश करते ही खरमास का समापन होगा।
सामान्यत: पौष मास अथवा पूस का महीना और खरमास एक साथ ही आरंभ होते हैं और एक साथ ही इनका समापन होता है। लेकिन कई बार वर्ष में अधिकमास पड़ने के कारण इनकी तिथियों में अंतर आ जाता है। ये तो सर्वविदित है कि पौराणिक मान्यता के अनुसार खरमास में कोई भी मांगलिक और शुभ कार्य नहीं किए जाते है, लेकिन यज्ञ-हवन, पूजा-पाठ, कथा आदि धार्मिक कार्य किए जा सकते हैं।
वहीं ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि पौष मास में शुभ कार्य किए जा सकते हैं, लेकिन खरमास में शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किए जाते। हालांकि लोगों के बीच एक धारणा बन गई है कि पौष मास अर्थात पूस के महीने में शुभ कार्य नहीं किए जाते, ये धारणा खरमास और पूस के महीने के एक साथ पड़ने के कारण बनी हुई है। इस वर्ष 2024 में खरमास रविवार 15 दिसंबर 2024 से आरंभ होगा और खरमास का समापन बुधवार 15 जनवरी 2025 को मकर संक्रांति के दिन होगा। वहीं इस वर्ष सोमवार 16 दिसंबर 2024 से पौष मास शुरू हो रहा है, जो सोमवार 13 जनवरी 2025 को समाप्त होगा।
खरमास कथा
खरमास की पौराणिक कथा के अनुसार सूर्यदेव अपने सात घोड़ों के रथ पर सवार सदैव गतिमान रहते हैं, वह निरंतर ब्रह्मांड की परिक्रमा लगाते हैं। सूर्यदेव एक क्षण के लिए भी ठहर नहीं सकते क्योंकि अगर उनके गतिहीन होते ही जनजीवन के लिए समस्या उत्पन्न हो जाएगी।
कथा के अनुसार एक बार सूर्यदेव अपने रथ पर ब्रह्मांड की परिक्रमा लगा रहे थे, तब हेमंत ऋतु में उनके घोड़े थक गए और एक तालाब किनारे पानी पीने के लिए रुक गए। सूर्यदेव जानते थे कि उनका एक क्षण भी ठहरना सृष्टि के लिए संकट पैदा कर सकता है। ऐसे में उन्होंने तालाब किनारे खड़े दो खर यानी गधों को अपने रथ में जोड़ लिया और पुन: परिक्रमा के लिए चल दिए। गधे दौड़ने में घोड़ों की बराबरी नहीं कर सकते थे, इस कारण सूर्यदेव के रथ की गति धीमी हो गई। पूरे एक माह तक सूर्यदेव गधों के रथ पर सवार रहते हैं, इसलिए इसे खरमास कहा जाता है।