नई दिल्ली (हि.स.)। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को गुयाना की संसद के विशेष सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में सबसे पावरफुल मंत्र ‘लोकतंत्र प्रथम, मानवता प्रथम’ है।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि लोकतंत्र प्रथम, मानवता प्रथम की भावना पर चलते हुए आज भारत विश्व बंधु के रूप में विश्व के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहा है। विश्व स्तर पर कोई समस्या उत्पन्न होने पर भारत सबसे पहले मदद का हाथ बढ़ाता है। कोविड-19 के दौरान भारत ने 150 से अधिक देशों के साथ दवाइयां और वैक्सीन साझा कीं।
उन्होंने कहा कि दुनिया के लिए यह समय संघर्ष का नहीं, बल्कि संघर्ष पैदा करने वाली परिस्थितियों को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेररिज्म, ड्रग्स, साइबर क्राइम… ऐसी कितनी भी चुनौतियां हैं जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे।
उन्होंने कहा कि हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम संसाधनों पर कब्जे की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। आज भारत हर तरह से वैश्विक विकास, शांति के पक्ष में खड़ा है। इसी भावना के साथ आज भारत ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है।
उन्होंने कहा कि भारत और गुयाना दोनों ही विकास की आकांक्षा रखते हैं। हम अपने लोगों को बेहतर जीवन प्रदान करने के सपने देखते हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बेहद ज़रूरी है। यह ग्लोबल साउथ के जागरण का समय है। यह क्षण हमें एक साथ आने और एक नई वैश्विक व्यवस्था बनाने का अवसर प्रदान करताहै।