तुम बिन सूना ये सारा जहां
तुम बिन सूना जमीं आसमां
चांदनी रातों में हम सोये थे
तुम्हारी यादों के चादर बिछाये
तुम्हारे सपनों में खोये थे
तुम्हें पाने की आस लगाये
तुम्हारे ही शब्दों को हमने
अपने गीतों में गुनगुनाये
तुम बिन कभी रोये
और कभी मुस्कुराये
तुम बिन न दिन कटता है
न कटती है मेरी रातें
हर वक्त याद आती है
बस तुम्हारी ही बातें
अपनी दुवाओं में मांगते हैं
बस तुम्हें ही रात दिन
हमारी जिंदगी की कल्पना
अब अधूरी है तुम बिन
-दीपमाला पाण्डेय
रायपुर, छत्तीसगढ़