Wednesday, November 27, 2024
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यूरेशियन समूह आभासी परिसंपत्तियों के मुद्दे पर दे रहा विशेष ध्यान: ईएजी चेयरमैन

इन्दौर (हि.स.)। यूरेशियन समूह (ईएजी) के चेयरमैन और एफआईयू रसिया के डायरेक्टर यूरी चिखानचिन ने बुधवार को इंदौर में चल रही मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने के लिए यूरेशियन समूह की 41वीं प्लेनरी बैठक और कार्यकारी समूह की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि यूरेशियन समूह द्वारा आभासी परिसंपत्तियों के मुद्दे पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

चेयरमैन चिखानचिन ने कहा कि निरंतर वित्तीय नवाचार धोखाधड़ी, धन शोधन, आतंकवाद के वित्तपोषण और बाजार में हेरफेर की नई संभावनाएं पैदा कर रहा है, इसलिए सरकारों को ऐसे अपराधों की पहचान करने और उनका मुकाबला करने के लिए नए उपकरणों की आवश्यकता है। रोकथाम विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि आतंकवादी खतरा बढ़ रहा है तथा अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद समाजों और उनकी सुरक्षा के लिए एक प्रमुख चुनौती बना हुआ है।

उन्हाेंने कहा कि हम डिजिटल-संचालित नवाचार प्रौद्योगिकी की दुनिया में रहते हैं। बिग डेटा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ब्लॉकचेन, रोबोटिक्स, क्लाउड कंप्यूटिंग आधुनिक वित्तीय क्षेत्र का अभिन्न अंग बन गए हैं। साथ ही ये कारक एक बहुत ही विशेष और गतिशील जोखिम परिदृश्य बनाते हैं। उदाहरण के लिए आधुनिक सूचना और संचार प्रौद्योगिकी को मादक पदार्थों के तस्करों द्वारा लालच से अपनाया जाता है, क्योंकि वे अपने माल को बेचने के लिए डार्कनेट और मैसेजिंग ऐप चैनलों का उपयोग करते हैं और अपने पैसे को इधर-उधर करने के लिए क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग करते हैं। आधुनिक वित्तीय पिरामिड धोखाधड़ी भी ज्यादातर ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर आधारित है जो उभरती हुई तकनीक को पारगमन श्रृंखलाओं को तोड़कर गलत तरीके से अर्जित लाभ की वास्तविक प्रकृति को छिपाने में सक्षम बनाती है।

उन्होंने कहा कि हम देख रहे हैं कि क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल आतंकवादी हमलों और भ्रष्ट अधिकारियों की साज़िशों के वित्तपोषण में तेजी से किया जा रहा है। यही कारण है कि यूरेशियन समूह आभासी परिसंपत्तियों के मुद्दे पर विशेष ध्यान दे रहा है। इस वर्ष हमारे पर्यवेक्षी मंच और अंतरराष्ट्रीय अनुपालन परिषद ने आभासी परिसंपत्ति पर विचार किया है, संबंधित विषयों पर चर्चा की गई तथा पिछले पूर्ण अधिवेशन के दौरान हमने ईएजी सदस्य देशों के संसदीय फोरम में अपने सांसदों के समक्ष नवाचार और उभरती वित्तीय प्रौद्योगिकी से उत्पन्न जोखिमों के कानूनी विनियमन का मुद्दा उठाया था। उन्होंने एशिया-प्रशांत समूह के सहयोगियों को इन प्रारूपों में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया और कहा कि इससे सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा किया जा सकेगा और इन जोखिमों से निपटने के लिए सामूहिक रूप से शमन उपायों को अपनाया जा सकेगा।

चेयरमैन चिखानचिन ने कहा कि न्यूरल नेटवर्क, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और डाटा माइनिंग में नवीनतम प्रगति वित्तीय निगरानी में रोजमर्रा की बात बन गई है, इसलिए एफआईयू, लेन-देन करने वालों के वित्तीय व्यवहार में विसंगतियों की पहचान करके, विशेष रूप से आतंकवाद के संदर्भ में अपने जोखिमों का आकलन करने के एक नए स्तर पर पहुंच गए हैं।

उन्होंने कहा कि बड़े डेटा के स्वचालित प्रसंस्करण के लिए अधिक समाधान पर्यवेक्षी और कानून प्रवर्तन प्राधिकरणों के साथ-साथ वित्तीय खुफिया इकाइयों और निजी क्षेत्र में भी अपना रास्ता तलाश रहे हैं। इस संदर्भ में मुझे यह देखकर बहुत खुशी हुई कि इस चर्चा ने विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों के एक विविध समूह को एक साथ लाया है। बैंक, गैर-बैंकिंग संस्थान, फिनटेक, नियामक और एफआईयूएस एक साझा सूचना स्थान के माध्यम से ज्ञान संवर्धन आज पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक है। उन्होंने इस आयोजन के लिये भारत सरकार के अतिरिक्त सचिव विवेक अग्रवाल के प्रयासों की प्रशंसा की। उन्होंने एफएटीएफ के प्रमुख मित्सुतोशी काजीकावा और सभी वक्ताओं और टिप्पणीकारों के प्रति भी आभार व्यक्त किया।

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