चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के विधान परिषद् की 9 रिक्त सीटों के लिए द्विवार्षिक चुनाव कराने की अनुमति दे दी। इसके पूर्व महाराष्ट्र विधान परिषद चुनाव की व्यवहार्यता से संबंधित चुनाव आयोग की एक बैठक आयोजित हुई, जिसमें मुख्य निर्वाचन चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा, निर्वाचन आयुक्तों अशोक लवासा और सुशील चंद्रा के साथ अमरीका से वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए इस बैठक में शामिल हुए।
चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित कार्यक्रम के तहत 4 मई को अधिसूचना जारी होगी। नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख 11 मई, मत पत्रों की जांच का काम, 12 मई, नाम वापस लेने की आखिरी तारीख 14 मई, मतदान 21 मई को सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक किया जाएगा, वहीं इसी दिन 21 मई को शाम 5 बजे से मतगणना होगी।
महाराष्ट्र में 24 अप्रैल को विधानपरिषद् की नौ सीटें रिक्त हुईं थी। निर्वाचन आयोग ने 3 अप्रैल को कोविड से उपजी परिस्थितियों के मद्देनजर अगले आदेश तक चुनाव स्थगित करने के लिए अनुच्छेद 324 के तहत एक आदेश जारी किया था।
निर्वाचन आयोग को महाराष्ट्र के मुख्य सचिव का 30 अप्रैल का लिखा एक पत्र मिला था, जिसमें उन्होंने कोविड को नियंत्रित करने के लिए उठाए गए विभिन्न उपायों की जानकारी दी है और कहा कि राज्य सरकार के आकलन के अनुसार विधान परिषद् की रिक्त नौ सीटों पर सुरक्षित माहौल में चुनाव कराए जा सकते हैं। राज्य सरकार ने कहा है कि वह चुनाव कराते समय गृह मंत्रालय के इन आदेशों के पालन का पूरा ध्यान रखेगी।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त को महाराष्ट्र के राज्यपाल की ओर से 30 अप्रैल को लिखा एक डीओ पत्र भी प्राप्त हुआ है जिसमें राज्य में विधान परिषद् की रिक्त सीटों पर चुनाव कराने की व्यवहार्यता की जानकारी दी गई। पत्र में राज्यपाल ने यह भी कहा है कि उद्धव बालासाहेब ठाकरे ने 28 नवंबर 2019 को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी।संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार पद की शपथ लेने के छह महीने की अवधि के भीतर यानी 27 मई या उससे पहले उन्हें महाराष्ट्र विधानसभा या विधानमंडल का सदस्य बनना जरुरी है। उन्होंने यह भी लिखा है कि जमीनी स्तर पर अब स्थितियों ठीक हैं, सरकार द्वारा दी गई छूट के बाद से इसमें सुधार होता दिखाई दे रहा है। इसलिए पूरी स्थिति को ध्यान में रखते हुए,निर्वाचन आयोग से अनुरोध किया गया है कि चुनाव कराने के तौर-तरीकों पर विचार किया जाए।
निर्वाचन आयोग ने विभिन्न राजनीतिक दलों महाराष्ट्र विधानमंडल कांग्रेस पक्ष, शिव सेना विधी मंडल पक्ष और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से उक्त चुनाव कराए जाने के बारे में किए गए अनुरोध का भी संज्ञान लिया। उपरोक्त सभी को ध्यान में रखते हुए आयोग ने ऐसी अप्रत्याशित परिस्थितियों में पिछले उदाहरणों की समीक्षा की जब उसने पूर्व प्रधानमंत्रियों के मामलों में 1991 में पी.वी. नरसिम्हा राव, 1996 में एचडी देवेगौड़ा और कई राज्यों के मुख्यमंत्री जैसे में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत,1997 में बिहार की मुख्यमंत्री श्रीमती राबड़ी देवी, 1993 में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री विजय भास्कर रेड्डी तथा 2017 में उत्तर प्रदेश और चार अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री उत्तर और 2017 में नागालैंड के मुख्यमंत्री के संबंध में समान संवैधानिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उपचुनाव कराए थे।
इन सभी बातों को ध्यान में रखने के बाद,आयोग ने महाराष्ट्र में उक्त द्विवार्षिक चुनाव कराने का निर्णय लिया है। चुनाव की अनुसूची का विवरण अनुबंध बी में संलग्न है।
आयोग ने यह भी निर्णय लिया कि केंद्रीय गृह सचिव,जो आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति के अध्यक्ष हैं, को अधिनियम के प्रावधानों के तहत चुनाव के लिए निर्वाचन प्रक्रिया का सुचारु संचालन सुनिश्चित करने के लिए एक वरिष्ठ अधिकारी को नियुक्त करना चाहिए।
आयोग ने मुख्य सचिव को राज्य से एक अधिकारी की प्रतिनियुक्ति करने का भी निर्देश दिया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि चुनाव कराने की व्यवस्था करते समय कोविड19 के बारे में दिए गए निर्देशों का अनुपालन किया जाए। आयोग ने इस चुनाव के लिए महाराष्ट्र के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को पर्यवेक्षक नियुक्त किया है। आयोग ने अगले सप्ताह में पूर्व में स्थगित किए गए अन्य चुनावों की समीक्षा करने का भी निर्णय लिया है।