मोबाइल का इस्तेमाल बढ़ने के साथ ही मोबाइल चोरी के मामलों में भी खासी बढोत्तरी हुई है। मोबाइल चोरी होने पर जहां लोगों को आर्थिक नुकसान होता है, वहीं बहुत सारे जरूरी फोन नम्बर और डाटा भी खो जाते हैं। इसी को देखते हुए सरकार ने एक हेल्पलाइन नंबर 14422 जारी किया है। इससे पूरे देश में लोगों को अब शिकायत दर्ज कराने के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। इस नंबर पर डायल करने या संदेश भेजने पर शिकायत दर्ज हो जाएगी और पुलिस व सेवा प्रदाता कंपनी मोबाइल की खोज में जुट जाएगी। दूरसंचार मंत्रालय मई के अंत में महाराष्ट्र सर्किल में इसकी शुरुआत करेगा। देश के 21 अन्य दूरसंचार सर्कल में कई चरणों में इसे दिसंबर तक लागू किया जाएगा।
दूरसंचार प्रौद्योगिकी केंद्र (सी-डॉट) ने चोरी या गुम मोबाइल का पता लगाने के लिए सेंट्रल इक्विपमेंट आईडेंटिटी रजिस्टर (सीईआईआर) तैयार कर लिया है। सीईआईआर में देश के हर नागरिक का मोबाइल मॉडल, सिम नंबर और आईएमईआई नंबर है। मोबाइल के खोने की शिकायत दर्ज होते ही पुलिस और सेवा प्रदाता मोबाइल मॉडल और आईएमईआई का मिलान करेंगी। अगर आईएमईआई नंबर बदला जा चुका होगा, तो सेवा प्रदाता उसे बंद कर देंगी, इसकी खास बात ये है कि सेवा बंद होने पर भी पुलिस मोबाइल ट्रैक कर सकेगी।सी-डॉट के मुताबिक शिकायत मिलने पर मोबाइल में कोई भी सिम लगाए जाने पर नेटवर्क नहीं आएगा, लेकिन उसकी ट्रैकिंग होती रहेगी। पिछले कुछ सालों से प्रतिदिन बड़ी संख्या में मोबाइल चोरी और लूट की घटनाओं को देखते हुए सी-डॉट को दूरसंचार मंत्रालय ने यह तंत्र विकसित करने को कहा था। दूरसंचार मंत्रालय के एक सर्वे में ये बात सामने आई थी कि देश में एक ही आईएमईआई नंबर पर लगभग 18 हजार हैंडसेट चल रहे हैं। पिछले साल दूरसंचार मंत्रालय ने मोबाइल चोरी, लूट और गुम होने की बढ़ती शिकायतों के मद्देनजर टेलीग्राफ एक्ट में संशोधन किया था। इसके तहत आईएमईआई बदलने पर तीन साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान किया गया है। वहीं आईएमईआई से छेड़छाड़ करने वालों के विरुद्ध भी दण्डात्मक कार्यवाही की जाएगी।