संपूर्ण विश्व में करोना की वजह से व्याप्त आर्थिक मंदी से उबरने में वर्षों लग जाएंगे। विश्व की राजनीति में भी काफी परिवर्तन आ सकता है। बहुत से देशों की सरकारें बिगड़ेगी और बहुत से देशों में नई सरकारें बनेगी। भारत में भी राजनैतिक परिवर्तन के संकेत आने वाले समय में नजर आ रहे हैं। भारत में क्षेत्रीय दलों का अस्तित्व समाप्त होता दिखाई दे रहा है।
राष्ट्रीय दल भारतीय जनता पार्टी व इंडियन नेशनल कांग्रेस के बीच में ही चुनावी घमासान नजर आ रहा है। क्षेत्रीय दल अपनी अस्मिता को बचाने हेतु संघर्षशील दिखाई देंगे।
वोटों का ध्रुवीकरण होना नजर आ रहा है। देखना होगा किसे इसका लाभ मिलता है। भारतीय समाज दो धर्मों में बढ़ता नजर आएगा। मुस्लिम मतदाता कांग्रेस का हाथ थामने के लिए मन बना चुका है। बहुजन समाज पार्टी भी अपना जनाधार खो चुकी है, किंतु उसका वोट बैंक बिल्कुल सॉलिड है। जिससे कोई भी अलग नहीं कर सकता है। एससी ,एसटी बहुजन समाज पार्टी के खाते में शुरू से अब जाता रहा है तथा आगे भी जाने की संभावना दिखाई देती है।
इन दिनों बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो सुश्री मायावती चुप्पी साध के बैठी हुई हैं और हो सकता है। राजनीति के बदलते परिदृश्य में वह अपना स्वार्थ साधने हेतु अगले विधानसभा तथा लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन कर सकती हैं।
पिछले लोकसभा चुनाव में लाख प्रयासों के बाद 55% NDA वोट प्राप्त हुए थे पूर्ण बहुमत की सरकार बनी जिसमें 45% अकेले बीजेपी का था तथा 10% उनके घटक दलों का था! विपक्ष बिखरा हुआ था तथा क्षेत्रीय दल बड़ी सार्थक भूमिका निभा रहे थे अपने-अपने क्षेत्रों में और मुस्लिम वोट भी फैला हुआ था किंतु इस महामारी के बाद राजनीतिक पटल पर जो दृश्य दिखाई दे रहा है, वह कांग्रेस व उनके घटक दलों की ओर जाता दिखाई दे रहा है।
पिछले लोकसभा चुनाव में लाख प्रयासों के बाद 55% NDA वोट प्राप्त हुए थे पूर्ण बहुमत की सरकार बनी जिसमें 45% अकेले बीजेपी का था तथा 10% उनके घटक दलों का था। विपक्ष बिखरा हुआ था तथा क्षेत्रीय दल बड़ी सार्थक भूमिका निभा रहे थे अपने-अपने क्षेत्रों में और मुस्लिम वोट भी फैला हुआ था।
इस महामारी के बाद राजनीतिक पटल पर जो दृश्य दिखाई दे रहा है वह कांग्रेस व उनके घटक दलों की ओर जाता दिखाई दे रहा है। कांग्रेस का कुनबा भाजपा से ज्यादा मजबूत दिखाई देने लगा है।
बहुजन समाज पार्टी अपने खोते हुए जनाधार को समेटने हेतु कांग्रेस के साथ गठबंधन करने में जरा भी नहीं हिचकेगी और यदि कांग्रेस बहुजन समाज पार्टी का आने वाले चुनाव में गठबंधन हो जाता है। कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी का कहीं गठबंधन हो गया तो 17% मुस्लिम + 18% SC + 10% ST + 5% क्रिस्चियन = 50% मिलना लाजमी नजर आ रहा है। इसके अलावा ब्राह्मणों से 5% तथा राजपूतों से 5% व अन्य OBC से 7% के करीब खींचने में कांग्रेस कामयाब हो सकती है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि 62% की लीड लेकर कांग्रेस आने वाले चुनाव में अपना देश में परचम लहरा सकती है। इसे नकारा नहीं जा सकता है। पब्लिक वोट फॉर चेंज की भूमिका निभा सकती है। जैसा कि देखा जा रहा है कि मुस्लिम मतदाताओं का कांग्रेस के प्रति मोह बढ़ गया है तथा क्षेत्रीय दलों को वह कभी भी गले नहीं लगाएंगे।
अब देखना होगा कि बहुत अच्छी टीम के साथ काम करने वाली भारतीय जनता पार्टी अपनी क्या मैनेजमेंट करती है और कैसे राजनीति के आसमान पर काले बादलों को कैसे निपटाती है। बीजेपी सरकार की छोटे दलों को मिटाने वाली राजनीति शायद आने वाले समय में उसको घातक साबित हो।
छोटे-छोटे क्षेत्रीय दल वोट कटवा का काम करते थे और यह भाजपा ने स्वयं ही अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली है। छोटे दलों का खत्म होता अस्तित्व कांग्रेस के लिए लाभदायक साबित होगा। आने वाले चुनाव में यह बदली हुई दशा दिखाई देगी। शायद कांग्रेस के लिए खबर अच्छी हो किंतु बीजेपी की चुनावी गणित पर अंदाजा लगाना भी बहुत बड़ा कठिन काम है।
मोदी जी का कुशल नेतृत्व कुछ भी करने के लिए सक्षम है। आरजेडी, जेडीयू, समाजवादी पार्टी, बीजू जनता दल, तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना जैसे तमाम क्षेत्रीय दल अपना अस्तित्व होते हुए नजर आएंगे तथा यह भी संभव है कि कांग्रेसी इन को पटाने में काफी हद तक कामयाब हो पाए। जुगाड़ बिठाने में में कांग्रेस कामयाब हो जाती है तो कांग्रेस को आने वाले इलेक्शन में कोई नहीं रोक पाएगा।
-वीरेंद्र तोमर