डाई काली देखिए, दिखते लोग जवान।
पल पल जाती उमर से, बने रहें अनजान।।
बने रहें अनजान, उमर भी बीती जाती।
झुकी कमर देखते, न सिकुड़ी अपनी छाती।।
यम ना पहचानते, अंतिम घड़ी जब आई।
ईश को दें धोखा, लगाकर काली डाई।।
काली डाई देखिए, कितना करे कमाल।
पोपले मुँह भी करते, कितना बड़ा धमाल।।
कितना बड़ा धमाल, ब्रह्मा को भी झुठलाती।
लहराती लट श्याम, सुनहरी याद दिलाती।।
बरस सत्तर में भी, लाती यही तरुणाई।
बूढ़े बनें जवान, रंगकर काली डाई।।
महिमा अरी डाई की, कितना करूँ बखान।
बूढ़े दादा भी दिखे, बिल्कुल युवा जवान।।
बिल्कुल युवा जवान, मंद मंद मुस्काते।
मूंछों को दे ताव, मुंह पर हाथ फिराते।।
धन्य है उस लाल को, इसको जिसने बनाई।
लाल पीली काली, चमत्कारी यह डाई।।
-रवि प्रकाश
जबलपुर, मध्यप्रदेश
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