Sunday, January 19, 2025
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इस साल कब है नरक निवारण चतुर्दशी 2025? यहां पढ़ें व्रत का महत्व, सही तिथि और पूजा विधि

हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि देवों के देव महादेव को समर्पित है। इस तिथि पर भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इसके साथ ही शिव-पार्वती के निमित्त मासिक शिवरात्रि का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। शास्त्रों के अनुसार माघ मास और फाल्गुन मास की चतुर्दशी भगवान शिव को सर्वप्रिय है।

माघ मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को यूं तो मासिक शिवरात्रि कहा जाता है, लेकिन उत्तर प्रदेश और बिहार में इसे नरक निवारण चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार जहां स्वर्ग में मृत्यु के बाद मोक्ष प्राप्त होता है, वहीं नरक में अपने बुरे कर्मों के फलस्वरुप कष्ट झेलने पड़ते हैं। इससे मुक्ति पाने के लिए माघ मास की कृष्ण पक्ष की तिथि विशेष मानी गई है। इसलिए इसे नरक निवारण चतुर्दशी कहा जाता है। मिथिला क्षेत्र में नरक निवारण चतुर्दशी का व्रत हर उम्र के महिला और पुरुष करते हैं। इस व्रत को सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक रखा जाता है। 

पौराणिक मान्यता के अनुसार माघ मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर भगवान शिव एवं माता पार्वती की पूजा एवं व्रत करने से आयु में वृद्धि होती है। इस दिन भगवान शिव का ध्यान करने से सिद्धियों की प्राप्ति होती है। पौराणिक मान्यता है कि इस दिन विधि विधान से पूजा करने और व्रत रखने से नर्क से मुक्ति मिलती है। इस दिन भगवान शिव को बेलपत्र और बेर जरुर चढ़ाना चाहिए, अगर उपवास करें तो व्रत का पारण बेर खाकर करना चाहिए, साथ ही इस दिन रुद्राभिषेक करने से भी बहुत लाभ प्राप्त होता है।

ये भी मान्यता है कि माघ मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन माता पार्वती और भगवान शिव का विवाह तय हुआ था और इस तिथि के ठीक एक महीने के बाद फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव का विवाह माता पार्वती के साथ संपन्न हुआ था और ये तिथि महाशिवरात्रि के नाम से सर्वविदित है।

हिन्दू पंचांग के अनुसार माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि सोमवार 27 जनवरी को रात 8:34 आरंभ होगी होगी और अगले दिन मंगलवार 28 जनवरी को शाम 7:35 बजे समाप्त होगी। मासिक शिवरात्रि पर भगवान शिव एवं माता पार्वती की पूजा निशा काल में होती है, अतः सोमवार 27 जनवरी को माघ माह की मासिक शिवरात्रि मनाई जाएगी।

वहीं मिथिला पंचांग के अनुसार उदयातिथि को देखते हुए मंगलवार 28 जनवरी को नरक निवारण चतुर्दशी का व्रत रखा जाएगा और शाम को 7:21 बजे के बाद व्रत का पारण किया जा सकेगा। नरक निवारण चतुर्दशी पर इस बार मंगलवार 28 जनवरी को पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र और वज्र योग का शुभ संयोग बन रहा है।

पूजा विधि

नरक निवारण चतुर्दशी व्रत भगवान महादेव को अत्यंत प्रिय है। इस दिन प्रात: काल जल्दी स्नान करना चाहिए। इसके बाद भगवान सूर्य को जल देना चाहिए। इसके बाद घर के पूजा स्थल की सफाई कर गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए। फिर एक चौकी पर कपड़ा बिछाकर उस पर शिवलिंग या भगवान शिव के पूरे परिवार की तस्वीर रखनी चाहिए। पूजा के शुभ मुहूर्त पर भगवान शिव को जल, कच्चा दूध, गंगाजल, बेलपत्र, धतूरा, भांग, धूप-दीप, फल, फूल और भोग चढ़ाना चाहिए। भगवान शिव के सामने दिया जलाना चाहिए। फिर शिव जी के मंत्रों का जाप करना चाहिए और पूजा के समापन पर भगवान शिव की आरती करनी चाहिए। व्रत रखने वाले साधक इस दिन पार्थिव पूजन, जलाभिषेक आऔर रुद्राभिषेक कर रुद्राष्टक, पंचाक्षर स्त्रोत्र, लिंगाष्टक, शिवपुराण, महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।

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