हँसी तुम्हारी- मुकेश चौरसिया

चाँद सितारे, हँसी तुम्हारी।
सभी नजारे, हँसी तुम्हारी।

बहते झरने, झील, समुंदर।
कल कल धारे, हँसी तुम्हारी।

हँसी तुम्हारी, रात चाँदनी।
दिन उजियारे, हँसी तुम्हारी।

घंटी, पूजा, शंख, आरती।
सब जयकारे, हँसी तुम्हारी।

फूल ,पँखुरी, शबनम, मोती।
साँझ सकारे, हँसी तुम्हारी।

सावन-भादों, चपल दामिनि।
घन कजरारे, हँसी तुम्हारी।

पर्वत, बादल, धूप, हवाएँ।
झील, शिकारे, हँसी तुम्हारी।

-मुकेश चौरसिया
गणेश कॉलोनी, केवलारी,
जिला-सिवनी