बुजुर्ग इसलिए पेड़ लगाते थे- डॉ प्रतिमा विश्वकर्मा

बुजुर्ग इसलिए पेड़ लगाते थे
कि बच्चों को मीठे फल मिलें
प्रकृति हरी भरी ज़िंदा रहे
प्राणवायु बहे, स्वस्थ करे
थके हारे पथिकों को
मीठी छाँव, सुकून मिले
उनके जाने के बाद
इन पेड़-पौधों के रूप में
वंशजों को आशीर्वाद रहे
ये महान परंपरा
आगे बढ़े, चलती रहे

वे अपने लिए नहीं
दूसरों के लिए जीते थे
उनसे मिल के गम आधे
ह्रदय दुगने होते थे
उन्हें आनेवाले कल की फ़िक्र थी
प्राकृतिक जीवन था उनका
उनके अंदर प्रकृति साँसे लेती थी

और एक हम हैं
अप्राकृतिक
असंयमी
संवेदनहीन
मासूम निरीह
पेड़, पौधों के हत्यारे
एक बस अपनी ही खातिर जीने वाले…

-डॉ प्रतिमा विश्वकर्मा ‘मौली’