एफपीओ के लिए 6,866 करोड़ रुपये आवंटित
केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सरकार द्वारा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए की गई नवीनतम पहलों पर चर्चा करने के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से राज्यों के साथ बैठक की।
इस अवसर पर कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने 10,000 किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के गठन और संवर्धन के लिए नए प्रचालनात्मक दिशा-निर्देशों की बुकलेट जारी की। राज्यों के साथ विचार-विमर्श के दौरान कार्यान्वयन के महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई।
वीडियो कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने प्रधानमंत्री को आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत 20 लाख करोड़ रुपये का आवंटन करने के लिए धन्यवाद दिया, जिसके अंतर्गत फार्म गेट एवं प्राथमिक कृषि सहकारी समितियां, किसान उत्पादक संगठन, कृषि उद्यमी, स्टार्टअप आदि संग्रहण केन्द्रों पर कृषि अवसंरचना परियोजनाओं की स्थापना के लिए 1 लाख करोड़ रुपये की वित्तपोषण सुविधा हेतु आवंटन किया गया है।
उन्होंने कहा कि इस धनराशि का उपयोग फसल की उपज के नुकसान को कम करने के लिए फसलोपरांत अवसंरचना तैयार करने हेतु किया जाएगा जो वर्तमान में कुल उपज का लगभग 15 से 20 प्रतिशत है।
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार द्वारा किसान क्रेडिट कार्ड संतृप्तता अभियान चलाया गया था और वर्ष के अंत तक आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत 2.5 करोड़ केसीसी जारी करने का लक्ष्य रखा गया है।
पीएम-किसान योजना तथा किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि लगभग 14.5 करोड़ प्रचालनात्मक फार्म होल्डिंग्स में से अब तक लगभग 10.5 करोड़ के आंकड़े पीएम-किसान के अंतर्गत संग्रह कर लिए गए हैं।
वर्तमान में लगभग 6.67 करोड़ सक्रिय केसीसी खाते हैं। फरवरी 2020 में केसीसी संतृप्तता अभियान के शुरू होने के बाद नए केसीसी खातों के लिए लगभग 95 लाख आवेदन प्राप्त हुए जिनमें से 75 लाख आवेदनों को स्वीकृति प्रदान कर दी गई है।
इसके अलावा कृषि मंत्री ने बताया कि वर्ष 2023-24 तक कुल 10,000 एफपीओ का गठन किया जाना है तथा 5 वर्षों के लिए प्रत्येक एफपीओ को सहायता जारी रखनी है।प्रस्तावित स्कीम की लागत 6,866.00 करोड़ रुपये है।
बैठक में कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने बताया कि देशभर में 90 हजार से ज्यादा सहकारी समितियां हैं, जिनमें से 60 हजार के पास जमीन भी है और वे सक्षम भी हैं। इनके जरिए एफपीओ का गठन करते हुए ग्रामीण क्षेत्र में निवेश बढ़ाने की कोशिश होनी चाहिए।