प्रेम में स्त्री: जसवीर त्यागी

प्रेम में डूबी हुई स्त्री कहती है
अपने प्रिय से

मेरे अलावा
किसी दूसरे से किया प्रेम
तो ले लूँगी तुम्हारी जान

प्रेम के भाव-भाषा
पाठ-पठन
व्याकरण-व्याख्या
सब भिन्न हैं

कभी-कभी
उसको जानना समझना होता है
नये नजरिये से

वास्तव में स्त्री प्रेम में
मरना-मारना नहीं चाहती
वह तो प्रेम को जीना चाहती है
प्रेम को बचाना चाहती है

वह जानती है
प्रेम बचा रहेगा तो
यह दुनिया भी बची रहेगी
प्रेम में

जसवीर त्यागी