जीएसटी को एक साल पूरा होने वाला है वन नेशन वन टैक्स देश के लोगों का सपना था, वो आज हक़ीक़त में बदल चुका है। वन नेशन वन टैक्स रिफार्म इसके लिए अगर मुझे सबसे ज्यादा किसी को क्रेडिट देनी है तो मैं राज्यों को क्रेडिट देता हूँ। जीएसटी कोऑपरेटिव फेडरलिस्म का एक बेहतरीन उदाहरण है, जहाँ सभी राज्यों ने मिलकर देशहित में फ़ैसला लिया और तब जाकर देश में इतना बड़ा टैक्स रिफार्म लागू हो सका। इतना बड़ा देश, इतनी बड़ी जनसंख्या इसको पूर्ण रूप से स्थिर होने में 5 से 7 साल का समय लगता है लेकिन देश के ईमानदार लोगों का उत्साह, देश की ईमानदारी का उत्सव जन-शक्ति की भागीदारी का नतीज़ा है कि एक साल के भीतर-भीतर बहुतेक मात्रा में ये नई कर प्रणाली अपनी जगह बना चुकी है, स्थिरता प्राप्त कर चुकी है और आवश्यकता के अनुसार अपनी इनबिल्ट व्यवस्था के द्वारा वो सुधार भी करती रहती है। ये अपने आप में एक बहुत बड़ी सफ़लता सवा-सौ करोड़ देशवासियों ने अर्जित की है। ये बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मन की बात में कही।
अभी कुछ दिन पहले बेंगलुरु में एक ऐतिहासिक क्रिकेट मैच हुआ। यह अफगानिस्तान का पहला अन्तर्राष्ट्रीय मैच था और यह हर भारतीय के लिए गर्व की बात है कि अफगानिस्तान का यह ऐतिहासिक मैच भारत के साथ था। इस मैच में दोनों ही टीमों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया। यह मैच हम सभी के लिए एक यादगार रहेगा। खैर ये पहला मैच था इसलिए याद रहना तो बहुत स्वाभाविक है लेकिन मुझे ये मैच किसी एक विशेष कारण से याद रहेगा। भारतीय टीम ने कुछ ऐसा किया,जो पूरे विश्व के लिए एक मिसाल है। भारतीय टीम ने ट्रॉफी लेते समय एक विजेता टीम क्या कर सकती है– उन्होंने क्या किया! भारतीय टीम ने ट्रॉफी लेते समय, अफगानिस्तान की टीम जो कि पहली बार अन्तर्राष्ट्रीय मैच खेल रही थी,अफगानिस्तान की टीम को आमंत्रित किया और दोनों टीमों ने साथ में फोटो ली। स्पोर्ट्समैन स्परिट क्या होता है, स्पोर्ट्सशिप क्या होती है- इस एक घटना से हम अनुभव कर सकते हैं। खेल समाज को एकजुट करने और हमारे युवाओं का जो कौशल है,उनमें जो प्रतिभा है, उसे खोज निकालने का एक बेहरतीन तरीक़ा है। भारत और अफगानिस्तान दोनों टीमों को मेरी शुभकामनाएँ हैं।
इस 21 जून को चौथे ‘योग दिवस’ पर एक अलग ही नज़ारा था। पूरी दुनिया एकजुट नज़र आयी। विश्व-भर में लोगों ने पूरे उत्साह और उमंग के साथ योगाभ्यास किया। योग सभी सीमाओं को तोड़कर,जोड़ने का काम करता है। सैकड़ों देशों के हजारों उत्साही लोगों ने जाति, धर्म, क्षेत्र, रंग या लिंग हर प्रकार के भेद से परे जाकर इस अवसर को एक बहुत बड़ा उत्सव बना दिया। यदि दुनिया भर के लोग इतने उत्साहित होकर ‘योग दिवस’ के कार्यक्रमों में भाग ले रहे थे तो भारत में इसका उत्साह अनेक गुना क्यों नहीं होगा। योग ने जाति, पंथ और भूगोल से परे जाकर विश्व भर के लोगों को एकजुट होकर करने का काम किया है। ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ के जिस भाव को हम सदियों से जीते आये हैं। हमारे ऋषि, मुनि, संत जिस पर हमेशा जोर देते हैं, योग ने उसे सही मायने में सिद्ध करके दिखाया है। 1 जुलाई को आने वाले डॉक्टर्स डे के बारे में बात करूँ- सही बात है। हम मुसीबत के समय ही डॉक्टर को याद करते हैं लेकिन यह एक ऐसा दिन है, जब देश हमारे डॉक्टर्स की उपलब्धियों को सेलिब्रेट करता है और समाज के प्रति उनकी सेवा और समर्पण के लिए उन्हें बहुत-बहुत धन्यवाद देता है। हम वो लोग हैं,जो स्वाभवतः माँ को भगवान के रूप में पूजते हैं, भगवान के बराबर मानते हैं क्योंकि माँ हमें जीवन देती है, माँ हमें जन्म देती है, तो कई बार डॉक्टर हमें पुनर्जन्म देता है। डॉक्टर की भूमिका केवल बीमारियों का इलाज़ करने तक सीमित नहीं है। मैं सभी देशवासियों की तरफ़ से हमारे सभी डॉक्टर साथियों को आगामी 1 जुलाई को आने वाले डॉक्टर्स डे की ढेरों शुभकामनाएँ देता हूँ। हम ऐसे भाग्यवान लोग हैं जिनका इस भारत भूमि में जन्म हुआ है। भारत का एक ऐसा समृद्ध इतिहास रहा है, जब कोई ऐसा महीना नहीं है, कोई ऐसा दिन नहीं है, जिसमें कोई–न-कोई ऐतिहासिक घटना न घटी हो। देखें तो भारत में हर जगह की अपनी एक विरासत है। वहाँ से जुड़ा कोई संत है, कोई महापुरुष है, कोई प्रसिद्ध व्यक्ति है, सभी का अपना-अपना योगदान है, अपना महात्म्य है।