प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भर भारत सेमिनार में कहा कि ये किसी से छिपा नहीं है कि भारत कई सालों से दुनिया के सबसे बड़े रक्षा आयातकों में एक प्रमुख देश रहा है। जब भारत आजाद हुआ था तो उस समय रक्षा उत्पादन के लिए भारत में बहुत सामर्थ्य था। उस समय भारत में 100 साल से अधिक समय से स्थापित रक्षा उत्पादन का इकोसिस्टम था। और भारत जैसा सामर्थ्य और क्षमता बहुत कम देशों के पास थी। लेकिन भारत का दुर्भाग्य रहा कि दशकों तक इस विषय पर उतना ध्यान नहीं दिया गया जितना देना चाहिए था।
उन्होंने कहा कि इस ओर कोई गंभीर प्रयास नहीं किए गए थे और हमारे बाद में शुरूआत करने वाले अनेक देश भी पिछले 50 साल में हमसे बहुत आगे निकल गए, लेकिन अब स्थिति बदल रही है।
पिछले कुछ वर्षों में आपने अनुभव किया होगा कि हमारा प्रयास इस सेक्टर से जुड़ी सभी बेड़ियां तोड़ने का एक निरंतर प्रयास है। हमारा उद्देश्य है कि भारत में विनिर्माण बढ़े, नई टेक्नोलॉजी का भारत में ही विकास हो और प्राइवेट सेक्टर का इस विशेष क्षेत्र में अधिकतम विस्तार हो। और इसके लिए लाइसेंसिंग प्रक्रिया में सुधार, लेवल प्लेइंग फील्ड की तैयारी, एक्सपोर्ट की प्रक्रिया का सरलीकरण, ऑफसेट के प्रावधानों में सुधार; ऐसे अनेक कदम उठाए गए हैं।
उन्होंने कहा कि बहुत लंबे समय तक रक्षा उत्पादन में विदेशी निवेश की अनुमति नहीं थी। अटल जी की सरकार के समय ये नई पहल की शुरूआत हुई थी। हमारी सरकार आने के बाद इसमें और सुधार किए गए और अब पहली बार इस सेक्टर में 74 पर्सेंट तक एफडीआई ऑटोमेटिक रूप से आने का रास्ता खोला जा रहा है। ये नए भारत के आत्मविश्वास का परिणाम है।
दशकों से ऑर्डनेन्स कारखानों को सरकारी विभागों की तरह ही चलाया जा रहा था। एक सीमित विजन के कारण देश का नुकसान तो हुआ ही, वहां जो काम करने वाले लोग थे, जिनके पास टैलेंट थे, कमिटमेंट था, मेहनती थे, ये हमार बहुत ही अनुभव से संपन्न हमारा जो मेहनत करने वाला श्रमिक वर्ग वहां जो है, उनका तो बहुत नुकसान हुआ।
जिस सेक्टर में करोड़ों लोगों के रोजगार के अवसर बन सकते थे, उसका इकोसिस्टम बहुत ही सीमित रहा। अब ऑर्डनेन्स कारखानों का कॉर्पोटाईजेशन करने की दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं। इस प्रक्रिया के पूरा होने पर श्रमिकों और सेना, दोनों को बल मिलेगा। यह नए भारत के आत्मविश्वास का प्रमाण है।
हाल में आपने देखा होगा कि 101 रक्षा उपकरणों को पूरी तरह से घरेलू खरीद के लिए सुरक्षित कर दिया गया है। आने वाले दिनों में इस लिस्ट को और व्यापक बनाया जाएगा इसमें और उपकरण जुड़ते रहेंगे। इस लिस्ट का उद्देश्य आयात को रोकना मात्र नहीं है, बल्कि भारत में उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए ये कदम उठाया गया है। इससे आप सभी साथियों को, चाहे वो प्राइवेट सेक्टर हो, पब्लिक सेक्टर हो, एमएसएमई हों, स्टार्टअप हो, सभी के लिए ये सरकार की भावना और भविष्य की संभावना अब आपके सामने ब्लैक एंड व्हाइट में क्लियर है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जहां तक इंफ्रास्ट्रक्चर की बात है, जो डिफेंस कॉरिडोर पर तेजी से काम चल रहा है, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु की सरकारों के साथ मिलकर स्टेट ऑफ द आर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जा रहा है। इसके लिए आने वाले पांच सालों में 20 हजार करोड़ रुपये के निवेश का लक्ष्य रखा गया है।
उन्होंने कहा कि एमएसएमईऔर स्टार्टअप्स से जुड़े उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के लिए आईडेक्स की जो पहल की गई थी, उसके भी अच्छे परिणाम मिल रहे हैं। इस प्लेटफॉर्म के माध्यम से 50 से अधिक स्टार्टअप्स ने सैन्य उपयोग के लिए टेक्नोलॉजी और उत्पाद को विकसित किया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मैं एक और बात आपके सामने खुले मन से रखना चाहता हूं। आत्मनिर्भर भारत का हमारा संकल्प इनवर्ड लुकिंग नहीं है। वैश्विक अर्थव्यवस्था को ज्यादा लचीला, ज्यादा स्थायी बनाने के लिए, विश्व में शांति के लिए एक सक्षम भारत का निर्माण ही इसका लक्ष्य है। यही भावना रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता के लिए भी है। भारत में अपने कई मित्र देशों के लिए रक्षा उपकरण का एक भरोसेमंद सप्लायर बनने की क्षमता है। इससे भारत की स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप को और बल मिलेगा और हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की नेट सेक्युरिटी प्रोवाइडर की भूमिका और सुदृढ़ होगी।
उन्होंने कहा कि सरकार के प्रयास और प्रतिबद्धता आप सभी के सामने हैं। अब आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को हमें मिल करके इसे सिद्ध करना है। चाहे प्राइवेट सेक्टर हो या पब्लिक सेक्टर हो, या फिर हमारे विदेशी सहयोगी आत्मनिर्भर भारत सभी के लिए विन-विन संकल्प है। इसके लिए आपको एक बेहतर इकोसिस्टम देने के लिए हमारी सरकार प्रतिबद्ध है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यहां आपकी तरफ से जो भी सुझाव आए हैं वे बहुत ही उपयोगी सिद्ध होने वाले हैं। और मुझे बताया गया है कि डिफेंस प्रोडक्शन एंड एक्सपोर्ट प्रोमोशन पॉलिसी का ड्राफ्ट सभी स्टेकहोल्डर्स के साथ साझा किया गया है। आपके फीडबैक से इस पॉलिसी को जल्द से जल्द लागू करने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि यह भी जरूरी है कि आज का ये सेमिनार एक वन टाइम इवेंट न रहे बल्कि आगे भी ऐसे आयोजन होते रहें। इंडस्ट्री और सरकार के बीच लगातार विचार-विमर्श और फीडबैक का स्वाभाविक कल्चर बनना चाहिए।
मुझे विश्वास है कि ऐसे सामूहिक प्रयासों से हमारे संकल्प सिद्ध होंगे। मैं फिर एक बार, आप सबने समय निकाला, आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए आत्मविश्वास के साथ आप जुटे, मुझे विश्वास है कि आज जो संकल्प हम ले रहे हैं, इसको पूर्ण करने में हम सब ने अपनी जिम्मेदारी बहुत खूब अच्छे ढंग से निभाएंगे।