केंद्र सरकार ने कर्मचारियों के ग्रेच्युटी भुगतान के नियमों में बड़ा बदलाव किया है। संसद से पारित लेबर कोड के अनुसार अब ग्रेच्युटी की रकम के लिए कर्मचारियों को पांच साल की नौकरी अनिवार्य नहीं होगी।
नए लेबर कोड के कारण अब पांच साल की जगह एक साल की नौकरी पर ही ग्रेच्युटी का लाभ मिल सकेगा। संसद की ओर से पारित नए लेबर कोड के अनुसार अब एक साल की नौकरी पूरी कर छोडऩे पर उसी अनुपात में ग्रेच्युटी मिलेगी। अभी तक पांच साल की नौकरी पूरी करने पर हर साल 15 दिन के वेतन के हिसाब से ग्रेच्युटी मिलती है।
नये बो कर्मचारी कॉन्ट्रैक्ट यानी अनुबंध पर कार्यरत हैं, वे यदि पांच साल के पहले नौकरी छोड़ते हैं तो उन्हें प्रो राटा बेसिस पर ग्रेच्युटी का भुगतान किया जाएगा। लेबर कोड के प्रावधानों के अनुसार कर्मचारी की सेवानिवृत्ति, इस्तीफा, टर्मिनेशन की स्थिति में कर्मचारी जितने दिन काम किया है, उसके अनुसार ग्रेज्युटी का हकदार होगा।
लोकसभा में बिल को पेश करने के दौरान श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने निश्चित अवधि वाले रोजगार को आईआर संहिता में लाने पर कहा कि निश्चित अवधि वाले कर्मचारियों की सेवा शर्तें, वेतन, छुट्टी एवं सामाजिक सुरक्षा भी, एक नियमित कर्मचारी के समान ही होंगी। इसके अतिरिक्त निश्चित अवधि वाले कर्मचारियों को प्रो राटा ग्रेच्युटी का अधिकार भी दिया गया है।
जानकारी के अनुसार पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी एक्ट 1972 के तहत इसका लाभ उस संस्थान के हर कर्मचारी को मिलता है जहां 10 से ज्यादा कर्मचारी कार्यरत हैं। काम करते हैं. अगर कर्मचारी नौकरी बदलता है, रिटायर हो जाता है या किसी कारणवश नौकरी छोड़ देता है, लेकिन वह ग्रेच्युटी के नियमों को पूरा करता है तो उसे ग्रेच्युटी का लाभ मिलता है।