आज दिल बहुत बेचैन है,
एक पल इसे न चैन है।
ज़िन्दगी की उथल-पुथल में,
सोया दिन जागी रैन है।।
आज दिल बहुत बेचैन है।।
नये सवेरे की आस में,
कुछ कर गुजरने की प्यास में,
टूटते हौसलों में भी
नये सपने बुनते नैन है।।
आज दिल बहुत बेचैन है।।
तुम समाज की कैद से,
बिन मर्ज़ के वैद्य से,
कैसे उड़ पाओगे,
यहाँ आजाद उड़ाने बैन है।।
आज दिल बहुत बेचैन है।।
सोनल ओमर
कानपुर, उत्तर प्रदेश