आज देश को पहली महिला स्वाट (स्पेशल वैपन्स एंड टैक्टिस) टीम मिलने वाली है और सबसे बड़ी बात ये है कि अपनी पहली तैनाती में इस टीम को बहुत महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जा रही है। लाल किले पर आयोजित होने वाले स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान आतंकी हमले के खतरे को देखते हुए कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सुरक्षा की जिम्मेदारी देश की पहली विशेष महिला स्वाट टीम संभालेगी।
गृहमंत्री राजनाथ सिंह आज शुक्रवार को देश की पहली महिला स्वाट टीम को दिल्ली में तैनात करेंगे। महिला स्वाट टीम के गठन और प्रशिक्षण के बाद ये इनकी पहली तैनाती होगी। इन महिला कमांडो को देशी-विदेशी विशेषज्ञों द्वारा 15 महीने का कड़ा प्रशिक्षण दिया गया है। बताया जा रहा है कि स्वाट कमांडो ट्रेनिंग बेहद कठिन होती है। यह फोर्स किसी भी स्थिति में दुश्मन का खात्मा करने की ताकत रखती है। इन्हें हवा, पानी और जंगल में ऑपरेशन को अंजाम देने में महारथ हासिल है। इन्हें अंधेरे में भी दुश्मन की पहचान कर उसे खत्म करने की ट्रेनिंग दी जाती है। आतंकी और नक्सली ऑपरेशन का काम इस टीम को दिया जाता है।
भारत में पहली महिला स्वाट टीम बनाने का आइडिया दिल्ली के पूर्व पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक ने दिया था। उन्होंने आतंकी हमलों और बंधक को छुड़ाने के लिए विशेष तौर पर महिला स्वाट टीम की आवश्यकता पर जोर दिया था। वर्ष 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमलों के बाद देश में स्वाट टीम के गठन की जरूरत महसूस की गई थी। देश की पहली महिला स्वाट टीम को देशी-विदेशी प्रशिक्षकों द्वारा 12 महीनों की सख्त कमांडों ट्रेनिंग और फिर 3 महीने की विशेषज्ञ स्वाट ट्रेनिंग दी गई है। इस दौरान इन्हें 24 घंटे या उससे भी ज्यादा देर तक चलने वाले ऑपरेशन की ट्रेनिंग दी गई है। महिला स्वाट टीम को 12 महीने की कमांडो ट्रेनिंग झारौदा कला और स्वैट ट्रेनिंग एनएसजी के मानेसर स्थित सेंटर पर दी गई है। इन महिला कमांडो को निहत्थे मुकाबला करने, घात लगाकर हमला करने, जंगल ऑपरेशन, अर्बन ऑपरेशन, फायरिंग, कई तरीके के हथियारों का प्रयोग करने, किसी भी तरह की बहुमंजिला इमारतों पर चढ़ने और होटल, कमरे, डीटीसी बस या मेट्रो जैसी जगहों पर बंधक बनाए गए लोगों को सुरक्षित छुड़ाने आदि का विशेषज्ञ प्रशिक्षण दिया गया है। साथ ही ये दस्ता बंधक बनाए गए लोगों को छुड़ाने और वीवीआईपी सुरक्षा में भी माहिर है। हाथों से लड़ाई करने के लिए इन्हें विशेष तौर पर इजारयली सेना द्वारा इजाद किए गए मार्शल आर्ट फार्म कर्व मागा का प्रशिक्षण दिया गया है। इसके अलावा इन्हें आतंकियों द्वारा विस्फोटक में इस्तेमाल किए जाने वाले आइइडी की पहचान करने और उससे निपटने का भी प्रशिक्षण दिया गया है। ये स्वाट टीम को विशेष तौर पर मौके पर पहुंचने के बाद महज 10 मिनट के अंदर अपनी योजना और घटनास्थल का नक्शा आदि बनाकर ऑपरेशन शुरू करने के लिए प्रशिक्षित किया गया है।
पहली महिला स्वाट टीम में 36 महिला सदस्य हैं और ये सभी पूर्वोत्तर के राज्यों की है। इनमें से सबसे ज्यादा 13 महिला कमांडो असम, 5 अरुणाचल प्रदेश, 5 मणिपुर, 5 सिक्किम, 4 मेघालय, 2 नागालैंड, 1 मिजोरम और 1 त्रिपुरा की हैं। इस स्वाट टीम में एक टीम लीडर, दो रेकी अधिकारी, एक संचार विशेषज्ञ और दो शार्प शूटर शामिल हैं। इसके अलावा टीम में पूर्वोत्तर के इंस्ट्रक्टर को भी तैनात किया गया है, ताकि ऑपरेशन व प्रशिक्षण के दौरान भाषा की कोई दिक्कत न आए।
इन महिला कमांडो को विशेष तौर पर एमपी-5 सबमशीन गन, एके-47 रायफल, जीलॉक-17 और जीलॉक-26 पिस्टल को चलाने का प्रशिक्षण देकर इन हथियारों से लैस किया गया है। इसके अलावा इन्हें हैंड ग्रेनेड किट, वायरलेस सेट, 20 मीटर नाइलॉन रस्सी, पेंसिल टॉर्च, बुलेटप्रूफ जैकेट, बुलेटप्रूफ हेल्मेट, कटर, कमांडो डैगर, स्पेशल नी और ऐल्बो पैड से भी लैस किया गया है। बताया जा रहा है कि इस महिला स्वाट टीम को सेंट्रल और साउथ दिल्ली में तैनात किया जाएगा।