दहेज मुक्त भारत बनाने में सब का सहयोग अपेक्षित है। आज इस मार्ग में जो समस्याएँ खड़ी करें, वो दहेज लोभी समझे जाने चाहिए। इसके कुछ दुष्परिणाम जो मैंने करीब से देखे हैं शेयर कर रही हूँ,
पहली बात, दहेज में मोटी रकम की चाह में माँ-बाप, बेटे को बुढ़ापे की ओर धकेल रहे हैं।
दूसरी बात, फलस्वरूप बेटा अंतरजातीय विवाह कर रहा है, शराब पीने की आदत लग रही है या फिर आत्महत्या कर रहा है।
तीसरी बात, जिस बेटी के पिता ने बेटे के माँ-बाप को उनकी मुंह मांगी रकम दे दी और बेटी के लिए एक वर खरीद लिया, फिर भी उनकी चिंता समाप्त नहीं हुईं।
चौथी बात, लड़की के मन पर इसका गहरा प्रभाव पड़ेगा क्योंकि उसने पिता की पीड़ा को देखा है।
पाँचवी बात, वैसे घर में किसी माँ-बाप की बेटी सुखी नहीं, जिनके ससुराल वाले बहु के मायके की धन दौलत पर नज़र गड़ाए हुए हैं।
छठी बात, परिणाम दहेज प्रताड़ना, ताने उलाहने, रुपए एवं सामानों की मांग और जब इनकी बात ना सुनी जाए, बिना कोई बात कहे सुने घर से बाहर कर देना।
सातवीं एवं बेहद गंभीर बात, बहु को जला कर या ज़हर खिलाकर उसे असमय जान से मार देना।
दोस्तों, कहां जा रहा है हमारा समाज? क्यों हो रही है हत्याएं बहु बेटियों की? हमने क्यों अपनी आँखों पर पट्टी बांध ली है? क्यों हमारे मुँह और कान दोनों बंद हैं? क्यों इस अभिशाप को हमने अपने जीवन में शामिल कर रखा है? क्या हम इसके ख़िलाफ़ आवाज उठाने में अपने को कमज़ोर महसूस कर रहे हैं या डर रहे हैं, अपने आप से, अपने सभ्य समाज से?
ये सारे प्रश्न आत्ममंथन के लिए हैं। सभ्य समाज के सभी सभ्य लोगों से ये बात पूछनी है, क्या सचमुच इस कुरीति के साथ मिलकर सभ्य समाज में रहने के योग्य हैं हम, आप, सभी?
दहेज मुक्त भारत बनाने के लिए आप सब की शुभकामनाएं और सहभागिता बेहद आवश्यक है, कृपया समस्या नहीं समाधान बनें। एक दिन सुंदर समाज, गौरवशाली राष्ट्र, सभी कुरीतियों से दूर होकर हमारे बीच होगा।
सिंधु मिश्र
राँची, झारखंड