प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए विश्व भारती के दीक्षांत समारोह को संबोधित किया। इस अवसर पश्चिम बंगाल के राज्यपाल और विश्वभारती के रेक्टर जगदीप धनखड़, केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ और शिक्षा राज्य मंत्री संजय धोत्रे उपस्थित रहे। दीक्षांत समारोह में कुल 2,535 छात्रों को डिग्री दी गई।
दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि गुरुदेव रबिन्द्रनाथ टैगोर ने जो अद्भुत धरोहर माँ भारती को सौंपी हैं, उसका हिस्सा बनना, आप सभी साथियों से जुडऩा, मेरे लिए प्रेरक भी है और आनंददायक भी है। आपके जीवन के इस महत्वपूर्ण अवसर पर आप सभी युवा साथियों को, माता-पिता को, गुरुजनों को मैं बहु-बहुत बधाई देता हूँ, शुभकामना देता हूँ।
उन्होंने कहा कि आप सिर्फ विश्वविद्यालय का हिस्सा नहीं हैं, बल्कि एक जीवंत परंपरा का हिस्सा हैं। गुरुदेव अगर विश्व भारती को सिर्फ एक यूनिवर्सिटी के रूप में देखना चाहते, तो वो इसे ग्लोबल यूनिवर्सिटी या कोई और नाम दे सकते थे, लेकिन उन्होंने विश्व भारती विश्वविद्यालय नाम दिया।
पीएम मोदी ने कहा कि गुरुदेव की विश्वभारती से अपेक्षा थी कि यहां जो सीखने आएगा वो पूरी दुनिया को भारत और भारतीयता की दृष्टि से देखेगा। उनके लिए विश्व भारती सिर्फ ज्ञान देने वाली एक संस्था मात्र नहीं थी। ये एक प्रयास है भारतीय संस्कृति के शीर्षस्थ लक्ष्य तक पहुंचने का।
उन्होंने कहा कि गुरुदेव ने विश्वभारती में जो व्यवस्थाएं विकसित कीं, जो पद्धतियां विकसित कीं, वो भारत की शिक्षा व्यवस्था को परतंत्रता की बेडय़िों से मुक्त करने, उन्हें आधुनिक बनाने का एक माध्यम थी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि विश्व भारती तो अपने आप में ज्ञान का वो उन्मुक्त समंदर है, जिसकी नींव ही अनुभव आधारित शिक्षा के लिए रखी गयी थी। इसी सोच के साथ गुरुदेव ने इस महान विश्वविद्यालय की स्थापना की थी।
पीएम मोदी ने कहा कि सफलता व असफलता हमारा वर्तमान व भविष्य तय नहीं करती। हो सकता है आपको किसी फैसले के बाद जैसा सोचा था वैसा परिणाम न मिले, लेकिन आपको फैसला लेने में डरना नहीं चाहिए। जब तक देश के युवा में रिस्क लेने का जज्बा रहेगा, मुझे देश के भविष्य की चिंता नहीं है।
उन्होंने कहा कि आप समस्या का हिस्सा बनना चाहते हैं या समाधान का, ये तय करना अपने हाथ में होता है। अगर आप खुद से ऊपर उठकर, अपने स्वार्थ से ऊपर उठ कर नेशन फर्स्ट के अप्रोच के साथ आगे बढ़ेंगे तो आपको हर समस्या के बीच सॉल्यूशन ढूंढऩे का मन करेगा।
पीएम मोदी ने कहा कि जिस प्रकार सत्ता में रहते हुए संयम और संवेदनशील रहना पड़ता है, रहना जरूरी होता है, उसी प्रकार हर विद्वान को, हर जानकार को भी उनके प्रति जिम्मेदार रहना पड़ता है, जिनके पास वो शक्ति है।
उन्होंने कहा कि गुरुदेव मानते थे कि विविधताएं रहेंगी, विचारधाराएं भी रहेंगी, इन सबके साथ हमें खुद को तलाशना होगा. आपका ज्ञान सिर्फ आपका नहीं, बल्कि समाज, देश की हर एक भावी पीढिय़ों की भी वो धरोहर है। आपका ज्ञान एक राष्ट्र को गौरवान्वित भी कर सकती है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत में जो नई शिक्षा नीति बनी है, वो भी पुरानी बेडिय़ों को तोडऩे के साथ ही, विद्यार्थियों को अपना सामर्थ्य दिखाने की पूरी आजादी देती है। ये शिक्षा नीति आपको अलग-अलग विषयों को पढऩे की आजादी और आपको अपनी भाषा में पढऩे का विकल्प देती है।
पीएम मोदी ने कहा कि मेरा आग्रह है, अगले 25 वर्षों के लिए विश्व भारती के विद्यार्थी मिलकर एक विजन डॉक्यूमेंट बनाएं। वर्ष 2047 में जब भारत अपनी आजादी के 100 वर्ष का समारोह बनाएगा, तब तक विश्व भारती के 25 सबसे बड़े लक्ष्य क्या होंगे, ये इस विजन डॉक्यूमेंट में रखे जा सकते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि बंगाल ने अतीत में भारत के समृद्ध ज्ञान-विज्ञान को आगे बढ़ाने में देश को नेतृत्व दिया। बंगाल, एक भारत, श्रेष्ठ भारत की प्रेरणा स्थली भी रहा है और कर्मस्थली भी रहा है। भारत की आत्मनिर्भरता, देश की बेटियों के आत्मविश्वास के बिना संभव नहीं है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में पहली बार जेंडर इन्क्लूजन फंड की भी व्यवस्था की गई है।
युवा उद्यमियों को नए अवसरों का लाभ उठाने की स्वतंत्रता होनी चाहिए: पीएम मोदी