मध्यप्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने जारी विज्ञप्ति में बताया कि विश्वव्यापी आपदा कोरोना वायरस का संक्रमण अपने चरम पर पहुंच रहा है, संस्कारधानी के साथ-ही-साथ राजधानी भोपाल में भी इस प्रकोप विकराल रूप में है, जब सभी इस महामारी से बचने का प्रयास कर रहे हैं, तब भोपाल के आडिट दल अधिकारी बिना कोराना की जांच कराये जबलपुर में पधार चुके है।
संगठन का आरोप है कि आडिट दल के सभी अधिकारी सेवानिवृत्त हो चुके संयुक्त संचालक के काले कारनामों को छुपाने के लिए लीपा-पोती करने पहुंचे हैं। उनका मूल उद्देश्य जेडी की सेवानिवृत्ति पश्चात होने वाले भुगतान पर अनापत्ति प्रमाण पत्र देना है।
इसकी आड़ में आडिट दल द्वारा जिला जबलपुर के समस्त संकुलों, समस्त विकास खण्ड शिक्षा अधिकारियों, समस्त उत्कृष्ट विद्यालयों के साथ ही साथ राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा मिशन एवं कार्यालय जिला शिक्षा अधिकारी को भी लपेटते हुए आडिट का फरमान जारी कर पैसा उगाही का तरिका ढूंढा गया है।
शायद यह पहला अवसर होगा कि जब डीपीआई का आडिट दल जिलों की संस्थाओं का आडिट कर रहा है, वरना अभी तक तो प्रत्येक वर्ष महालेखाकार ग्वालियर के द्वारा ही आडिट किया जाता रहा है।
संघ के योगेन्द्र दुबे, अर्वेन्द्र राजपूत, अवधेश तिवारी, अटल उपाध्याय, आलोक अग्निहोत्री, मुकेश सिंह, गोविन्द विल्थरे,दुर्गेश पाण्डे, नितिन अग्रवाल, महेश कोरी, संतोष तिवारी, गगन चौबे, श्याम नारायण तिवारी, मो. तारिख, धीरेन्द्र सोनी, राकेश दुबे, विष्णु पाण्डे, प्रियांशु शुक्ला, नितिन शर्मा, विनय नामदेव, राकेश दुबे, गणेश उपाध्याय, सतीश पटैल, मनीष लोहिया, सुदेश पाण्डे, मनीष शुक्ला, राकेश पाण्डे आदि ने आयुक्त लोक शिक्षण मप्र भोपाल को ई-मेल के माध्यम से ज्ञापन प्रेषित कर मांग की है कि कोरोना संक्रमण के इस दौर में आडिट दल द्वारा किये जा रहे नियम विरूद्ध कारनामों पर रोक लगाई जावे।