MP आपातकालीन सेवाओं की आड़ में कर्मचारियों को मौत के मुँह में धकेलते विद्युत अधिकारी

अधिकारियों द्वारा अपने लाभ के लिए हमेशा कर्मचारियों को मोहरा बनाया जाता रहा है। खास तौर पर विद्युत अधिकारियों द्वारा मौखिक आदेश पर लाइन कर्मियों से जोखिम के कार्य करवाये जाते हैं। इस दौरान कार्य अच्छा हुआ तो पूरा श्रेय स्वयं ले लेते हैं और किसी भी प्रकार की अनहोनी होने पर सारा दोष लाइन कर्मियों पर मढ़ दिया जाता है।

मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ ने बताया कि मप्र पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के जबलपुर सिटी सर्किल के पश्चिम संभाग के अंतर्गत उप संभाग में राजस्व वसूली करने वाले नियमित, संविदा एवं ठेका श्रमिक सहित 30 तकनीकी कर्मचारियों की ड्यूटी मेंटेनेंस एवं उपभोक्ताओं की बंद बिजली को चालू करने के लिए उप संभाग मढ़ाताल कार्यालय में तीन शिफ्ट में 10 अप्रैल से 11 अप्रैल तक लगा दी गई है।

इसके लिए सहायक अभियंता के द्वारा जो आदेश निकाला गया है, उसमें किसी भी अधिकारी के ना तो दस्तखत है और ना ही आदेश क्रमांक टंकित है। 10 अप्रैल से शासन के द्वारा वैश्विक करोना जैसी भयावह बीमारी को ध्यान में रखते हुए लॉकडाउन लगा दिया गया है, इस दौरान जोखिम का कार्य करने वाले कर्मचारियों के साथ अगर करंट लगकर दुर्घटना होती है तो अधिकारी तो बच जाएंगे और कर्मचारी काल के गाल में समा जाएगा।

संघ के हरेंद्र श्रीवास्तव, रमेश रजक, के एन लोखंडे, एसके मौर्या, मोहन दुबे, राजकुमार सैनी, अजय कश्यप, महेश पटेल, अरुण मालवीय, शशि उपाध्याय, लखन राजपूत आदि के द्वारा पूर्व क्षेत्र कंपनी के उच्च अधिकारियों से संघ द्वारा  मांग की गई है कि अधिकारियों के द्वारा 30 कर्मचारियों का फर्जी आदेश निकाल कर जान के साथ खिलवाड़ करने वाले अधिकारी के ऊपर कार्यवाही की जाए।