मध्य प्रदेश की पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के बाद मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने भी नियमित कार्मिकों को विषम एवं गंभीर परिस्थितियों में चिकित्सा उपचार की सुविधा मुहैया कराने के लिए कोविड-19 चिकित्सा अग्रिम तत्काल सहायता योजना स्वीकृत की है। कंपनी के नियमित कार्मिकों के लिए कोविड-19 से पीड़ित होने पर उन्हें चिकित्सा उपचार के लिए 3 लाख रूपये का अग्रिम तत्काल स्वीकृत किया जाएगा।
इसके अलावा इस योजना के अंतर्गत कंपनी के संविदा कार्मिकों एवं उनके आश्रित परिवार के सदस्यों के लिए कोविड-19 से पीड़ित होने पर चिकित्सा उपचार के लिए दो माह का पारिश्रमिक अथवा अधिकतम राशि 70 हजार रूपये का अग्रिम स्वीकृत किया जाएगा।
यहां उल्लेखनीय है कि पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी प्रबंधन की तरह ही मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी प्रबंधन ने भी संविदा एवं आउटसोर्स कर्मियों को अनदेखा कर दिया है। संविदा एवं मानों आउटसोर्स कर्मी मनुष्य न होकर रोबोट हों या कोई अदृश्य वस्तु, जो विद्युत कंपनियों के प्रबंधन को योजना बनाते समय नज़र नहीं आते।
वहीं विद्युत संविदा कर्मियों की स्थिति भी बहुत अलग नहीं है, बस अंतर इतना है कि आउटसोर्स कर्मियों के मुकाबले संविदा कार्मिकों को थोड़ा ज्यादा वेतन और वाहवाही के नाम पर अत्यंत अल्प सुविधाओं प्रदान कर दी गई हैं। लेकिन शोषण भरपूर किया जा रहा है।
अगर विश्लेषण किया जाए तो बिजली कंपनियों में नियमित अधिकारियों एवं कर्मचारियों के अनुपात में संविदा अधिकारियों एवं कर्मचारियों को नाम मात्र की सुविधाएं हीं दी जा रही है, जबकि आउटसोर्स कर्मियों के मामले में ये अनुपात शून्य है।
विद्युत कंपनियों के अधिकारी संविदा एवं आउटसोर्स कर्मियों से रोबोट की तरह काम कराते हैं। उन्हें न तो छुट्टी मिलती है और न ही वाजिब वेतन और न ही चिकित्सा सुविधा का लाभ दिया जाता है। किसी भी विद्युत कंपनी प्रबंधन ने विशेष तौर पर आउटसोर्स कर्मियों के लिए कोरोना काल मे किसी भी योजना की घोषणा नहीं की और न ही ठेकेदारों को इसके लिए निर्देशित किया गया।
विद्युत कंपनियों का प्रबंधन और उच्च अधिकारी इतने अमानवीय हो चुके हैं कि उनके अंदर से मानवता की भावनासमाप्त हो चुकी है, शायद इसलिए अधिकारियों ने संविदा और आउटसोर्स कर्मियों को मानवीय सुविधाओं से वंचित रखा हुआ है।
मप्रविमं तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेन्द्र श्रीवास्तव का कहना है कि तकनीकी कर्मचारियों से नियम विरुद्ध जाकर कार्य कराने वाले अधिकारी श्रम नियमों को दरकिनार कर देते हैं। वहीं जब जमीनी स्तर पर कार्य करने वाले संविदा और आउटसोर्स कर्मियों को सुविधाएं देने की बात आती है तो उनके हक पर डाका डाल दिया जाता है।