MP: संकट के समय विद्युत कंपनी प्रबंधन हुआ निर्दयी, आउटसोर्स कर्मियों को नौकरी से निकालने की तैयारी

कोरोना संक्रमण से उपजे हालातों के कारण जहां एक ओर सरकार लॉकडाउन और कोरोना कर्फ्यू लगाकर स्थितियों को काबू करने में जुटी हुई है, वहीं दूसरी ओर लॉकडाउन और कोरोना कर्फ्यू के कारण आर्थिक गतिविधियों पर विराम सा लग गया है। इसके चलते लोगों पर रोजी-रोटी का संकट आ गया और उन्हें आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

ऐसी परिस्थितियों में भी मध्य प्रदेश की पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी प्रबंधन सदाशयता और मानवीयता का परिचय न देते हुए, निर्दयता और अमानवीयता पर उतर आया है। इस संक्रमण काल में भी संकट से घिरे आउटसोर्स कर्मियों को कंपनी प्रबंधन नौकरी से हटाने की तैयारी कर रहा है और ठेकेदारों पर लगाम लगाने में भी नाकाम साबित हो रहा है।

मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ ने पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी प्रबंधन से मांग की गई है कि आउटसोर्स के कर्मियों को कार्य करते हुए लगातार 6 से 8 साल हो चुके हैं। जिससे उन्हें कार्य का अच्छा खासा अनुभव भी हो गया है। हालांकि कुछ आउटसोर्स कर्मियों की उम्र 45 वर्ष से ज्यादा हो गई है।

पूर्व क्षेत्र कंपनी प्रबंधन के द्वारा मार्च माह में जिस ठेकेदार को ठेका दिया गया है, उसके अनुबंध में लिखा है कि जो कर्मी 5 साल तक कार्य करने का अनुभव प्रमाण पत्र दे देंगे तो 5 साल के लिए रख लेंगे। संघ को जानकारी प्राप्त हो रही है कि ठेकेदार के द्वारा आउटसोर्स कर्मियों से पैसों की मांग की जा रही है।

संघ ने कहा है कि शहर या ग्रामीण क्षेत्र के आउटसोर्स के कर्मियों से ठेकेदार के द्वारा पैसों की मांग की जाती है, तो संबंधित अधिकारियों को लिखित जानकारी दें। ठेकेदार के द्वारा 20 लाख का स्वास्थ्य दुर्घटना बीमा कराया जाये। कुछ आउटसोर्स कर्मियों के पास आईटीआई, ओवरहेड या पीजीडीसीए का डिप्लोमा नहीं है, वह सभी कार्य कर रहे हैं उन सभी को रखा जावे एवं आईटीआई, ओवरहेड और पीजीडीसीए कोर्स करने का समय दिया जाए।

संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव का कहना है कि सैकड़ों की विद्युत कर्मी या उनके परिवार के सदस्य के कोरोना वायरस से संक्रमित होने के कारण कार्य पर नहीं आ रहे हैं। आपातकाल की स्थिति में अगर ठेका श्रमिकों को निकाल दिया जायेगा तो विद्युत अवरोध हो सकता है।

संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव, रमेश रजक, केएन लोखंडे, एसके मौर्या, अजय कश्यप, जेके कोस्टा, राजकुमार सैनी, मोहन दुबे, शशि उपाध्याय, महेश पटेल, गोपाल यादव, हिरेंद्र रोहिताश, अरुण मालवीय, इंद्रपाल, सुरेंद्र मेश्राम, संजय वर्मा, घनश्याम चौरसिया, केएन गर्ग, एसके शाक्य आदि के द्वारा पूर्व क्षेत्र कंपनी प्रबंधन से मांग की गई है कि आउटसोर्स कर्मियों को नौकरी से ना निकाला जाये।