मध्य प्रदेश की विद्युत कंपनियों में ठेकेदारी प्रथा शुरू होते ही ठेका कंपनियों के अंतर्गत कार्य करने वाले आउटसोर्स कर्मियों का तानाशाहीपूर्वक शोषण किया जा रहा है। वहीं ठेका कंपनियों के द्वारा किये जा रहे इस शोषण की ओर से आँखें मूँद कर विद्युत कंपनी प्रबंधन ने भी मानों ठेकेदारों को मनमानी का परमिट दे रखा है।
मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ ने जारी विज्ञप्ति में बताया कि विद्युत कंपनियों के मुख्यालय के नीचे जबलपुर सिटी सर्किल के अनेक संभागों में विद्युत तंत्र के मेंटेनेंस का ठेका मुंबई की ईगल हंटर कंपनी को दिया गया था।
जबलपुर सिटी सर्किल में मेंटेनेंस के कार्य के लिए ईगल हंटर कंपनी ने 250 आउटसोर्स कर्मियों को नौकरी पर रखा था। ईगल हंटर कंपनी के द्वारा जिन कर्मियों को मेंटेनेंस कार्य के लिए रखा गया था, उनमें से प्रत्येक कर्मी को 7000 रुपये बोनस दिया जाना था, लेकिन ठेका कंपनी कर्मियों को बोनस का भुगतान किये बिना ही भाग गई।
संघ ने बताया कि जबलपुर में ईगल हंटर कंपनी ने जबलपुर में सारे कार्यों के सुपरविजन के लिए सुपरवाइजर एवं मैनेजर की नियुक्ति की थी। लेकिन ईगल हंटर कंपनी के भाग जाने के बाद आउटसोर्स श्रमिकों के द्वारा फोन करने पर कोई नहीं उठाता।
संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि ऐसी जानकारी मिल रही है कि पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के मुख्यालय में भुगतान के लिए ईगल हंटर प्राइवेट कंपनी के बिल बाकी हैं, जो पूर्व क्षेत्र कंपनी को देना है।
संघ के हरेंद्र श्रीवास्तव, अजय कश्यप, जेके कोस्टा, मोहन दुबे, राजकुमार सैनी, अरुण मालवीय, इंद्रपाल, सुरेंद्र मेश्राम, शशि उपाध्याय, राम शंकर, ख्यालीराम, टी डेविड, हिरेंद्र रोहिताश, महेश पटेल आदि ने पूर्व क्षेत्र कंपनी प्रबंधन से मांग की है कि ईगल हंटर प्राइवेट कंपनी के जिन बिलों का भुगतान किया जाना है, उसमें से सबसे पहले 250 आउटसोर्स का बोनस 7000 रुपये काटकर दिया जाए।