मध्य प्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के प्रान्तीय सचिव आलोक अग्निहोत्री ने जारी विज्ञप्ति में बताया कि वर्तमान समय में कोविड संक्रमण को देखते हुए शिक्षकों की ड्यूटी कोविड के विभिन्न कार्यों में लगाई जा रही है। शिक्षकों की ड्यूटी लगाने में प्राचार्य द्वारा भेदभाव किया जा रहा है।
प्राचार्यों द्वारा अपने चहेतों, दलालों को उपकृत करते हुए उनकी किसी प्रकार की ड्यूटी नहीं लगाई जा रही है, वहीं दूसरी ओर 55 वर्ष से अधिक आयु के शिक्षक संवर्ग जो गंभीर बीमारी से ग्रसित हैं, उन्हें भी कोरोनाकाल में अनेक ड्यूटी में लगाया जा रहा है, जबकि कोरोना की पहली लहर से ही ऐसे नागरिकों को विशेष सावधानी, छूट प्रदान की गई है जो किडनी, कैंसर, बायपास सर्जरीे आदि बीमारियों से ग्रसित हैं।
प्राचार्य द्वारा ऐसे शिक्षक जिनके परिजन कोविड की बीमारी से ग्रसित हैं, उन्हें भी कोविड कार्य में लगाया गया है। जिससे संक्रमण फैलने का खतरा कई गुना बढ़ गया है। साथ ही यह अनुचित भी हैं। जहाँ शासन द्वारा दिन-रात कोरोना की चैन तोडनें के लिये प्रयास किये जा रहे हैं। वहीं ऐसे शिक्षकों की ड्यूटी लगाकर कोरोना संक्रमण की कड़ी और बढाई जा रही है।
प्राचार्यों द्वारा भाई भतीजावाद के चलते शासन के आदेश को ठेंगा दिखते हुए रोस्टर का पालन किये बिना चिन्ह-चिन्ह कर ड्यूटी लगाई जा रही है, जबकि रोस्टर के अनुसार दिन के हिसाब से (7/10 दिवस) शिक्षकों की ड्यूटी लगाई जाये, जिससे संक्रमण का खतरा कम हो सके।
संघ के जवाहर केवट, नरेन्द्र सेन, शहजाद सिंह द्विवेदी, रजनीश पाण्डेय, अजय दुबे, सतीश उपाध्याय, राजेन्द्र खरे, रमाकांत पटेल, संजय पटेल, इन्द्रकुमार मिश्रा, अरूण दुबे, विनोद साहू, बलराम नामदेव, कृपाल झारिया, के.के. विश्वकर्मा, नेतराम झारिया, राकेश सेंगर, मुकेश धनगर, डॉ संदीप नेमा, देवेन्द्र प्रताप सिंह, संतकुमार छीपा, श्रीराम झारिया, श्यामबाबू मिश्रा, प्रमोद पासी, विमल कोष्टा, मथुरा झारिया आदि ने कलेक्टर जबलपुर से मांग की है कि कोविड कार्य में शिक्षकों की ड्यूटी रोस्टर के अनुसार लगाते हुए 55 वर्ष की आयु व गंभीर बीमारी से पीड़ित शिक्षकों को राहत दी जाए।