देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर विकराल रूप लेती जा रही है। ऐसे में अधिकांश राज्य सरकार लागू लॉकडाउन के नियम सख्त करती जा रही है। सरकार और विशेषज्ञों द्वारा जारी आंकड़ों एवं रिपोर्ट के अनुसार कोरोना महामारी मई माह में सबसे खतरनाक बताई जा रही है।
वहीं मध्य प्रदेश की विद्युत कंपनी प्रबंधन को मानो इससे कोई सरोकार ही न हो या वो मध्य प्रदेश को किसी और ग्रह में स्थित मान रहे हैं। कोरोना संक्रमण से उपजी भयावह स्थिति के बीच विद्युत कंपनी के अधिकारी Consumer indexing कम्पलीट करने का टारगेट बनाये हुए है ना जाने कितने कर्मचारियों की जान लेकर रहेंगे।
विद्युत कंपनी प्रबंधन के तानाशाहीपूर्ण रवैये से मैदानी अधिकारियों में आक्रोश पनप रहा है। आक्रोशित अधिकारियों का कहना है कि साथ ही अपने ही अधिकारी अपने ही साथियों की जान ले रहे है।
पीड़ित अधिकारियों का कहना है कि जैसे जालियांवाला बाग कांड में जनरल डायर के कहने पर हिन्दुस्तान के फौजी भाइयो ने अपने ही साथियों को गोलियों से भून डाला था, उसी प्रकार का रवैया साथी अधिकारी अख्तियार किये हुए हैं।
उसी प्रकार आईएएस का एसी चैंबर इन अधिकारियों को डराता है और ये फिर उच्च अधिकारी सभी कनिष्ठ अधिकारियों को परेशान करना शुरू कर देते हैं। उनका कहना है कि क्या जरूरी है consumer indexing की, ऐसे समय में सप्लाई तक तो नॉर्मल से चला पाने के लिए स्टाफ नहीं है।
सूत्रों के अनुसार आक्रोशित अधिकारियों ने चेतावनी भरे अंदाज़ में कहा है कि ऐसे जिलों को संज्ञान में लिया जाए। यदि जिले के अधिकारी धरने पर चले गए तो विद्युत कंपनी प्रबंधन के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी हो जाएगी।