मध्य प्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने जारी विज्ञप्ति में बताया की मध्यप्रदेश विधान सभा पत्र भाग-दो जो दिनांक 11 मई 2021 को जारी हुआ है के तहत मप्र विधान सभा के वर्तमान एवं पूर्व सदस्यों के वेतन व भत्तों आदि के पुनरीक्षण एवं अनुशंसित विषयों का परीक्षण कर अनुशंसायें लागू करने के लिए स्वयंभू समिति का गठन कर लिया गया, जिसमें सारे राग द्वेश भूल कर स्वयं का वेतन एवं भत्ता बढाने पक्ष एवं विपक्ष एक हो गये।
ज्ञात हो कि कोरोना के कारण विगत दो वर्षों से मध्य प्रदेश के कर्मचारी जहां एक ओर वेतन एवं भत्तों में कटौती की मार झेल रहे हैं, वहीं दूसरी ओर विगत कई वर्षों से कर्मचारी अपने लंबित सातवें वेतनमान अनुसार मकान भाडा भत्ता, यात्रा भत्ता, चिकित्सा शिक्षा प्रतिपूर्ति के साथ ही साथ केन्द्रीय कर्मचारियों के समान मंहगाई भत्ता वार्षिक वेतन वृद्धि पर लगी रोक हटाने तथा लिपिक संवर्ग के कर्मचारियों की वेतन विसंगति आदि समस्यायें के निराकरण की मांग कर रहे हैं।
जिस पर शासन द्वारा कोरोना की आड लेकर आर्थिक संकट बताते हुए कर्मचारियों को प्रताडित किया जा रहा हैं, किन्तु इसके विपरित माननीयों के वेतन भत्ते आदि की बढोतरी में सरकार के आर्थिक संकट का हवाला नहीं दिया जा रहा है। शासन की इस दोहरी नितियों के कारण 10 लाख कर्मचारियों में भारी आक्रोश व्याप्त है।
संघ के योगेन्द्र दुबे, अर्वेन्द्र राजपूत, अवधेश तिवारी, नरेन्द्र दुबे, अटल उपाध्याय, आलोक अग्निहोत्री, मुकेश सिंह, दुर्गेश पाण्डे, यू.एस.करौसिया, राजेश गुर्जर, बृजेश ठाकुर, सुधीर खरे, आशीष सक्सेना, अमित नामदेव, तपन मोदी, ए.आई. मंसूरी, विवेक भट्ट, राजेन्द्र श्रीवास्तव, नितिन श्रृंगी, बुजेश मिश्रा, आशुतोष तिवारी, सुरेन्द्र जैन, डॉ संदीप नेमा, दीपक राठौर, अनुराग चंन्द्रा आदि ने मुख्यमंत्री एवं मुख्य सचिव को ई-मेल के माध्यम से पत्र भेजकर मांग की गई है कि माननीयों के वेतन एवं भत्ते बढाने के पूर्व कर्मचारियों की सभी लंबित आर्थिक मांगों पर शीघ्र निर्णय लेकर लागू किया जाये।