प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में किसानों को राहत देते हुए खरीफ फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य को बढ़ाने का निर्णय लिया गया है।
कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने बताया कि धान पर एमएसपी में 72 रुपये की बढ़ोत्तरी की गई है। जिसके बाद 1868 रुपये प्रति क्विंटल से धान अब 1940 रुपये प्रति क्विंटल हो गया। इसके साथ ही, बाजरा पर एमएसपी बढ़ाकर 2150 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 2250 रुपये प्रति क्विंटल किया गया है।
कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि विगत 7 वर्षों में किसान के पक्ष में बड़े निर्णय हुए हैं ताकि किसानों की आमदनी बढ़ सके और उनमें ख़ुशहाली आ सके। एमएसपी 2018 से लागत पर 50 प्रतिशत मुनाफ़ा जोड़कर घोषित की जाती है। उन्होंने कहा कि जारी खरीफ विपणन मौसम 2020-21 (6 जून 2021 तक) हेतु, पिछले साल के 736.36 एलएमटी की तुलना में, एमएसपी पर 813.11 एलएमटी से अधिक धान की खरीद की गई, जिससे कि जारी खरीफ फसलों के लिए 120 लाख से अधिक किसानों को लाभ हुआ है।
सरकार ने किसानों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने के उद्देश्य से सरकारी खरीद, सीजन 2021-22 के लिए खरीफ फसलों के एमएसपी में बढ़ोतरी की है। बीते साल की तुलना में सबसे ज्यादा तिल यानी सेसामम (452 रुपये प्रति क्विंटल) और उसके बाद तुअर व उड़द (300 रुपये प्रति क्विंटल) के एमएसपी में बढ़ोतरी की सिफारिश की गई। मूंगफली और नाइजरसीड के मामले में, बीते साल की तुलना में क्रमशः 275 रुपये और 235 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है। मूल्यों में इस अंतर का उद्देश्य फसल विविधीकरण को प्रोत्साहन देना है।
कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि पीएम मोदी जी के नेतृत्व में किसानों के क्षेत्र एक के बाद एक निर्णय लिए गए, जिससे किसान की आय बढ़े। खेती फायदे का सौदा हो इसके लिए काम किया गया। किसानों को खरीफ़ सीजन के लिए एमएसपी का फैसला लिया गया है. धान, बाजरा और अरहर की एमएसपी में बढ़ोतरी की गई है।
केन्द्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि पिछले दिन जब रिफॉर्म के बारे में बात हुई थी तो एमएसपी को लेकर बहुत बात हुई थी. उस वक्त भी हमने कहा था एमएसपी है और आने वाले समय में भी जारी रहेगी। इसलिए सरकार एमएसपी का एलान कर रही है।
कृषि मंत्री तोमर ने आगे कहा कि कृषि कानून देश की सभी पार्टी लाना चाहती थी, लेकिन वो हिम्मत नहीं कर पाई. भारत सरकार ने किसानों के साथ 11 बार बातचीत की। लेकिन इसका कोई जवाब ना किसी किसान यूनियन ने दिया ना ही किसी पार्टी ने दिया, इसलिए बातचीत आगे नहीं बढ़ पाई। जब किसान बातचीत के लिए तैयार होंगे हम बातचीत के लिए तैयार है।
सरकारी खरीद, सीजन 2021-22 के लिए खरीफ फसलों के एमएसपी में बढ़ोतरी, आम बजट 2018-19 में उत्पादन की अखिल भारतीय भारित औसत लागत (सीओपी) से कम से कम 1.5 गुने के स्तर पर एमएसपी के निर्धारण की घोषणा के क्रम में की गई है, जिसका उद्देश्य किसानों के लिए तार्किक रूप से उचित लाभ सुनिश्चित करना है। किसानों को उनकी उत्पादन लागत पर सबसे ज्यादा अनुमानित रिटर्न बाजरा (85 प्रतिशत) पर, उसके बाद उड़द (65 प्रतिशत) और तुअर (62 प्रतिशत) होने की संभावना है। बाकी फसलों के लिए, किसानों को उनकी लागत पर कम से कम 50 प्रतिशत रिटर्न होने का अनुमान है।
पिछले कुछ साल के दौरान तिलहनों, दालों और मोटे अनाज के पक्ष में एमएसपी में बदलाव की दिशा में हुए ठोस प्रयासों का उद्देश्य किसानों को अपने खेतों के ज्यादा हिस्से में इन फसलों को लगाने और सर्वश्रेष्ठ तकनीकों व कृषि विधियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना है, जिससे मांग-आपूर्ति में संतुलन कायम किया जा सके। पोषण संपन्न पोषक अनाजों पर जोर ऐसे क्षेत्रों में इनके उत्पादन को प्रोत्साहन देना है, जहां भूजल पर दीर्घकालिक विपरीत प्रभावों के बिना धान-गेहूं पैदा नहीं किए जा सकते हैं।
इसके अलावा, वर्ष 2018 में सरकार द्वारा घोषित अम्ब्रेला योजना “प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान” (पीएम-आशा) से किसानों को उनकी उपज के लिए लाभकारी रिटर्न में बढ़ोतरी होगी। अम्ब्रेला योजना में प्रायोगिक आधार पर तीन उप-योजनाएं- मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस), मूल्य अंतर भुगतान योजना (पीडीपीएस) और निजी खरीद व भंडारण योजना (पीपीएसएस)- शामिल हैं।
दालों के उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने के उद्देश्य से, आगामी खरीफ सीजन 2021 में कार्यान्वयन के लिए विशेष खरीफ रणनीति तैयार की गई है। तुअर, मूंग और उड़द के लिए रकबा और उत्पादकता दोनों बढ़ाने के लिए एक विस्तृत योजना तैयार की गई है। इस रणनीति के तहत, बीजों की सभी उपलब्ध अधिक उपज वाली किस्मों (एचवाईवी) को सहरोपण और एकल फसल के माध्यम से रकबा बढ़ाने के लिए मुफ्त वितरित किया जाएगा।
इसी प्रकार, तिलहनों के लिए भारत सरकार ने खरीफ सीजन 2021 में किसानों को मिनी किट्स के रूप में बीजों की ऊंची उपज वाली किस्मों के मुफ्त वितरण की महत्वाकांक्षी योजना को मंजूरी दी है। विशेष खरीफ कार्यक्रम से तिलहन के अंतर्गत अतिरिक्त 6.37 लाख हेक्टेयर क्षेत्र आ जाएगा और इससे 120.26 लाख क्विंटल तिलहन और 24.36 लाख क्विंटल खाद्य तेल पैदा होने की संभावना है।