मध्य प्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ अध्यापक प्रकोष्ठ द्वारा जारी विज्ञप्ति में बताया कि प्रगत शैक्षणिक संस्थान (पीएसएम) जबलपुर अविभजित मध्यप्रदेश का सन् 1889 का प्रथम प्रशिक्षण संस्थान है, जो 132 वर्ष से प्रदेश के साथ साथ महाकौशल के शिक्षकों को बीएड-एमएड का प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है।
वर्तमान में इस संस्थान में जहाँ अप्रशिक्षत शिक्षकों के लिए बीएड की 215 सीटें उपलब्ध हैं, वहीं दूसरी ओर एमएड के लिए लगभग 50 वर्षों से मात्र 20 सीट ही पूरे महाकौशल संभाग के लिए रखी गई है। विगत 10 वर्षों से प्रशिक्षक बीएड शिक्षकों की भर्ती की जा रही है, जिससे स्पष्ट है कि बीएड के स्थान पर एमएड प्रशिक्षण हेतु 20 सीटों के स्थान पर 100 सीटें की जानी चाहिए, ताकि अधिक से अधिक शिक्षकों को व्यवसायिक प्रशिक्षण योग्यता बढ़ाने का अवसर प्राप्त हो सके।
शासन द्वारा प्रशिक्षण संस्थान में एक वर्ष में करोडों रूपये खर्च करने के बाद भी उसका सदुपयोग नहीं हो पा रहा है। अगर एमएड प्रशिक्षणार्थियों के लिए सीटें बढ़ाई जाती हैं, तो संभाग के अनेक शिक्षक जो कि प्रशिक्षण हेतु अपनी बारे के इंतजार में 50 वर्ष की आयु से अधिक हो जाते हैं और बिना एमएड के ही उनकी सेवानिवृत्ति हो जाती है। एमएड की सीट में वृद्धि होने से ऐसे शिक्षक भी समय रहते एमएड प्रशिक्षण का लाभ प्राप्त कर सकेंगे ।
संघ के मुकेश सिंह, आलोक अग्निहोत्री, अजय सिंह ठाकुर, तरूण पंचौली, मनीष चौबे, नितिन अग्रवाल, गगन चौबे, श्यामनारायण तिवारी, प्रणव साहू, राकेश उपाध्याय, मनोज सेन, सुदेश पाण्डेय, विनय नामदेव, देवदत्त शुक्ला, सोनल दुबे, विजय कोष्टी, अब्दुल्ला चिस्ती, पवन ताम्रकार, संजय श्रीवास्तव, आदित्य दीक्षित, संतोष कावेरिया, जय प्रकाश गुप्ता, आनंद रैकवार, अभिषेक मिश्रा, संतोष तिवारी आदि ने प्रमुख सचिव, स्कूल शिक्षा व आयुक्त, राज्य शिक्षा केन्द्र भोपाल को ई-मेल भेजकर प्रगत शिक्षण संस्थान जबलपुर में एमएड की सीटे 100 किये जाने की मांग की है, ताकि अधिक से अधिक शिक्षकों को इसका लाभ प्राप्त हो सके।