मध्य प्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने जारी विज्ञप्ति में मांग की है कि दिव्यांगों के विकलांगता प्रमाण पत्र बनाने के मामले में भ्रष्टाचार के आरोपी चिकित्सक डॉ संजय जैन को निलंबित किया जाए।
भ्रष्टाचार के मामले में घिरे चिकित्सक को आरएमओ पद से मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा हटा दिया गया है, परंतु सिविल सर्जन द्वारा आगामी दिनों में दिव्यांगों को ऑनलाइन विकलांगता प्रमाण पत्र देने के संबंध में प्रशिक्षण कार्यक्रम में इनका नाम शामिल किया गया है, जबकि आरोपी चिकित्सक पर भ्रष्टाचार की जांच लंबित है। अतः ऐसे विवादित सिविल सर्जन को तत्काल प्रभाव से हटाया जाना चाहिए व आरोपी चिकित्सक की उच्च स्तरीय सूक्ष्म एवं गहन जांच राजस्व अधिकारी से कराई जानी चाहिए, जिससे दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए।
कोरोना काल में स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारी आपदा को अवसर मैं बदलने में लगे हुए हैं। स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टाचार की अनेक जांच लंबित है, इस पूरे प्रकरण में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी की भूमिका भी संदिग्ध प्रतीत होती है? उन्हें भी जांच के घेरे में लिया जाना चाहिए।
संघ के योगेंद्र दुबे, अवेंद्र राजपूत, अवधेश तिवारी, नरेंद्र दुबे, अटल उपाध्याय, आलोक अग्निहोत्री, मुकेश सिंह, दुर्गेश पांडे, चंदू जाऊलकर, मुन्ना लाल पटेल, राजेश चतुर्वेदी, मनोज खन्ना,सुशील डोंगरे, मुकेश धनगर, बबलू ठाकुर, एस बी मिश्रा, प्रमोद पासी, श्रीराम झारिया, मथुरा झारिया, प्रणव साहू, मो. तारिक, विष्णु पांडे, धीरेन्द्र सोनी, श्याम नारायण तिवारी, नितिन शर्मा, संतोष तिवारी, प्रियांशु शुक्ला, विजय कोष्टी, मनीष शुक्ला, मनीष लोहिया ने मुख्यमंत्री को ईमेल कर मांग की है कि जबलपुर के स्वास्थ्य अमले को अलग कर नवीन पदस्थापना की जाए और आपदा को अवसर में बदल रहे, चहुंओर से भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों की कोरोना काल के समस्त आर्थिक अनियमितता की सूक्ष्म एवं गहन जांच की जाए।