मध्य प्रदेश के विभिन्न कोषालयों में अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लगभग 900 पद रिक्त पडें हैं। जिसके चलते अधिकारी एवं कर्मचारियों की कमी बनी हुई है, जिसका सबसे अधिक असर प्रदेश के संभागीय संयुक्त संचालक, कोष एवं लेखा तथा जिला पेंशन कार्यालयों पर पड़ रहा है।
मध्य प्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ द्वारा जारी विज्ञप्ति में बताया कि इन कार्यालयों में अधिकारियों एवं कर्मचारियों की कमी के कारण समय पर वेतन निर्धारण नहीं हो पा रहा है साथ ही पेंशन कार्यालयों में भी पेंशन प्रकरणों का अंबार लगा हुआ है। शासकीय लोक सेवक की पदोन्नति, क्रमोन्नति, समयमान वेतनमान प्राप्त होने या एक पद से दूसरे पद पर संविलियन होने पर वेतन निर्धारण का अनुमोदन कोष एवं लेखा से लिया जाता है।
लेकिन समय पर वेतन निर्धारण अनुमोदन के प्रकरणों का निराकरण नहीं होने से शासकोय लोक सेवकों को वित्तीय लाभ प्राप्त होने में विलंब हो रहा है। ऐसी ही स्थिति सेवानिवृत्त लोक सेवकों के सामने आ रही है। प्रतिवर्ष प्रदेश में हजारों लोक सेवक सेवानिवृत्त हो रहे हैं, जिनके पेंशन प्रकरणों का निराकरण भी समय पर नहीं हो पा रहा है।
संघ के आलोक अग्निहोत्री, मुकेश सिंह, दुर्गेश पाण्डेय, चन्दु जाउलकर, डॉ संदीप नेमा, वीरेन्द्र तिवारी, घनश्याम पटेल, अजय दुबे, गोविंद बिल्थरे, राजेश चतुर्वेदी, रजनीश तिवारी, डी.डी. गुप्ता, पवन श्रीवास्तव, तरूण पांचौली, नितिन अग्रवाल, गगन चौबे, मनोज सेन, गणेश उपाध्याय, प्रणव साहू, महेश कोरी, मनीष लोहिया, विजय कोष्टी, मो. तारिक, वीरेन्द्र सोनी, प्रियांशु शुक्ला, संतोष तिवारी, सोनल दुबे, देवदत्त शुक्ला आदि ने मुख्यमंत्री एवं प्रमुख सचिव, वित्त विभाग को ईमेल भेजकर मांग की है कि प्रदेश के कोष एवं लेखा संचालनालय के रिक्त पदों को शीघ्र भरा जाये ताकि प्रदेश के शासकीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों के वित्तीय प्रकरणों का निराकरण समय सीमा पर हो सके।