मप्र पूर्व क्षेत्र विद्युत कंपनी द्वारा विद्युत दरों में बढ़ोत्तरी तथा रखरखाव, मेंटेनेंस, मीटर, बिजली बिल आदि पर सरचार्ज बढ़ाने हेतु मध्य प्रदेश विद्युत नियामक आयोग को प्रेषित प्रस्ताव पर भारत कृषक समाज द्वारा किसानों की ओर से 30 तथ्यात्मक बिन्दुओं सहित आपत्ति प्रस्तुत की गई, जिसमें मुख्य रूप से कहा गया है कि ग्रामीण क्षेत्र को घरेलु एवं कृषि में मिलने वाली बिजली जब तक पर्याप्त व गुणवत्तायुक्त न मिले तब तक किसी भी प्रकार की बढ़ोत्तरी यथोचित नहीं होगी।
भारत कृषक समाज के केके अग्रवाल ने बताया कि किसानों से अभी भी शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र में भेदभाव किया जाता है। चार्टर ऑफ डिमांड के अनुसार शहर के लिए सभी नियम डिफाइंड है, परंतु ग्रामीण क्षेत्र के लिए नहीं। उन्हें अभी भी दोयम दर्जे का माना जाता है। न तो समय पर मेंटेनेंस होता है और न ही ट्रांसफार्मर सुधारे जाते हैं।
वहीं वोल्टेज की कमी के कारण पंप जलते हैं व विद्युत का उपयोग किसान नहीं कर पाते है। सरकार की 10 घंटे बिजली की घोषणा बेमानी है, अभी भी किसानों को 6-7 घण्टे ही बिजली मिल पा रही है वह भी अधिकांशतः रात में।
इन समस्त तथ्यों को देखते हुए वर्तमान परिस्थितियों व विद्युत कंपनी की कार्य प्रणाली व संरचना में इन कमियों को दूर करना सम्भव नहीं दिखता। अतः प्रस्तावित वृद्धि निरस्त किये जाने की अपील विद्युत नियामक आयोग से की गई।
किसानों की ओर से किसानों के युवा संगठन किसान सेवा सेना द्वारा भी विद्युत नियामक आयोग से अपील की गई है कि किसानों को कृषि विद्युत हेतु पंप के परमानेंट कनेक्शन में भारी धन राशि खर्च करनी पड़ती है तथा वर्तमान में इस हेतु कोई सरकारी योजना नहीं है, जिससे किसान बिजली का उपयोग नही कर पा रहे है।
उल्लेखनीय है कि 6 जुलाई 2021 को प्रातः 10 बजे तरंग ऑडोटोरियम रामपुर जबलपुर में विद्युत नियामक आयोग द्वारा जन सुनवाई रखी गई है, जिसमें किसानों की ओर से उनका पक्ष दृढ़ता से रखा जाएगा।