संसाधनों की कमी के कारण दुर्घटना का शिकार हो रहे विद्युत कर्मी, मौत की फैक्ट्री बनी एमपी की विद्युत कंपनियां

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 7 जुलाई को HT साउथ भदभदा डिवीजन भोपाल शहर में पदस्थ जितेंद्र मरावी संविदा लाइन अटेंडेंट (लाइनमैन) सुबह 8 बजे पुल पर कार्य करते समय डबल सर्किट से इंडक्शन आने के कारण पोल से नीचे गिर गए जिसके कारण उन्हें सिर में गंभीर चोटें आई।

नियम के अनुसार संविदा कर्मचारियों को पोल पर चढ़कर कार्य करने का अधिकार नहीं है। पोल पर कार्य करने का अधिकार सिर्फ नियमित कर्मचारी को है। घायल कर्मी का इलाज भोपाल के निजी अस्पताल में चल रहा था, जहां उनका एक ऑपरेशन भी हो चुका था, लेकिन सिर में गंभीर चोट होने के कारण उनका स्वर्गवास हो गया। जितेंद्र मरावी अपने मां-बाप का इकलौता बेटा था, उनका रो-रो कर बुरा हाल है।

जितेंद्र मरावी जिला मंडला, पोस्ट रामपुरी, भीलावडा जार, चिरैदोगी रहने वाला है। उनके माता-पिता एवं परिजन भोपाल पहुंच गए हैं, इस घटना के बाद परिजनों एवं साथी कर्मचारियों में आक्रोश और गुस्सा व्याप्त है। परिजनों ने मप्र सरकार से गुहार लगाई है कि परिवार के एक सदस्य को अनुकंपा नियुक्ति दी जाए एवं 50,00,000 रुपये राहत राशि दी जाए।

उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश में हर दिन विद्युत दुर्घटनाओं की खबर आ रही है। 1982 से नियमित कर्मचारियों की भर्ती बंद है। हर महीने लगातार नियमित कर्मचारी रिटायर होते जा रहे हैं। विभाग ने नियमित भर्ती बंद कर दी है। नियमित भर्ती करने की बजाए संविदा एवं आउटसोर्स कर्मचारियों की भर्ती कर उनसे करंट का काम कराया जा रहा है। 

संविदा एवं आउटसोर्स कर्मचारियों का कहना है कि विद्युत विभाग लगातार मौत की फैक्ट्री बनता जा रहा है। जिसमें नई उम्र के संविदा और आउटसोर्स कर्मचारी लगातार दुर्घटनाओं का शिकार हो रहे हैं। बिजली प्रबंधन द्वारा संसाधन और सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराए बिना ही कर्मचारियों को पोल पर चढ़ा कर काम कराया जाता है, जिससे कर्मचारी दुर्घटनाग्रस्त होकर वीरगति को प्राप्त हो रहे हैं।