केन्द्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने विद्युत नियामकों के साथ बातचीत की। नियामकों के फोरम ने विभिन्न नियामक मानदंडों और मुद्दों पर मानक तैयार करने का संकल्प लिया। ये मानक राष्ट्रीय आयोग द्वारा अपनाए जाएंगे। इनसे राष्ट्रीय आयोगों को सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने और सुधार तथा नियामक नीतियां तेजी से लागू करने में भी मदद मिलेगी।
बैठक के दौरान यह भी बताया गया कि विद्युत मंत्रालय लोड उतार-चढ़ाव की आवश्यकता, अनुबंध अवधि, ऊर्जा मिश्रण और नवीकरणीय दायित्वों के अनुरूप बिजली की खरीदारी के लिए संसाधन पर्याप्तता और दिशा-निर्देशों पर काम कर रहा है। ये दोनों कार्य अगले दो या तीन माह में होने की उम्मीद है।
विद्युत मंत्रालय ने विभिन्न नियामक मापदंडों की निगरानी तथा उनका डिस्कॉम्स के साथ-साथ राज्य आयोगों द्वारा अनुपालन की निगरानी के लिए एक नियामक अनुपालन प्रभाग की स्थापना की है।
विद्युत वाहनों से संबंधित मुद्दों के बारे में भी चर्चा की गई। तकनीकी के साथ-साथ वाणिज्यिक मुद्दों को राज्य आयोगों के द्वारा हल कर लिया जाएगा, ताकि विद्युत वाहनों को बढ़ावा दिया जा सके। उपभोक्ता प्रतिनिधियों के साथ उपभोक्ता शिकायत निवारण मंचों की पर्याप्त संख्या में स्थापना और लागत प्रभावी टैरिफ के निर्धारण पर जोर दिया गया।
वितरण कंपनियों की वित्तीय व्यवहार्यता, देय राशि का भुगतान, एटी एंड सी हानियों को कम करने, पूर्व भुगतान मोड में स्मार्ट मीटरिंग शुरू करना, टैरिफ आदेशों को समय पर जारी करना, याचिकाओं का समय पर निपटान, विद्युत वाहन चार्जिंग स्टेशनों के लिए प्रमोशनल टैरिफ आदि के बारे में भी चर्चा की गई।
नियामकों के फोरम ने विद्युत के खुदरा टैरिफ पर विभिन्न कारकों के प्रभाव का विश्लेषण करने और उनसे निपटने के उपायों को विकसित करने के बारे में एक अध्ययन किया था। विद्युत मंत्रालय ने पहले ही केन्द्र सरकार से संबंधित अधिकांश सिफारिशों पर काम किया है और यह अनुरोध किया गया है कि राज्य आयोगों को सिफारिशों के बारे में शीघ्र कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि उपभोक्ताओं के लिए खुदरा टैरिफ को कम किया जा सके।