मप्रविमं अभियंता संघ ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर मांग की है कि विद्युत कंपनियों द्वारा वर्ष 2006 के उपरांत नियुक्त किये गए अधिकारियों एवं कर्मचारियों लिए केंद्र सरकार व राज्य सरकार की ही भांति राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS) प्रणाली मार्च-2012 से लागू की गई थी, जिसमें अभियंताओं के पेंशन अंशदान में जमा होने वाली राशी 10-10% (अर्थात 10% अधिकारी का अंशदान एवं 10% कंपनियों का अंशदान) थी, जोकि पूर्व में निर्धारित केंद्र सरकार व् राज्य सरकार के नियमों के ही अनुरूप थी।
वहीं अप्रैल 2019 से केंद्र सरकार ने NPS प्रणाली के तहत नियुक्त होने वालों के पेंशन अंशदान में जमा होने वाली राशी को बढाकर 10-14% कर दिया था (अर्थात 10% अधिकारी का अंशदान एवं 14% सरकार का अंशदान)। जिसके बाद मध्य प्रदेश शासन के समस्त विभागों के अंतर्गत वर्ष 2006 के उपरांत नियुक्त किये गए अधिकारीयों एवं कर्मचारियों के राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS) खाते में शासकीय अंशदान की राशि को वेतन और मंहगाई भत्ते का 14% कर दिया था, जोकि 1 अप्रैल 2021 से प्रभावी किया गया है।
अभियंता संघ ने अपने पत्र में कहा कि मध्य प्रदेश शासन के जिस मूल आदेश को सभी कंपनियों ने जस-का-तस लागू किया था। जिसके तहत 10-10% अंशदान आज तक जमा किया जा रहा है। ऐसी स्थित में विद्युत कंपनियों में भी स्वत: कटोत्रा अंशदान 10-14% किया जाना चाहिए। लेकिन ऐसे में मात्र प्रदेश की विद्युत कंपनियों में नियुक्त अधिकारी एवं कर्मचारियों को इस लाभ से आज दिनांक तक वंचित रखना पूर्ण रूप से अनुचित है।
अभियंता संघ ने पत्र में मुख्यमंत्री से कहा है कि नियमानुसार सरकारी अंशदान को 14% की दर से देने में जितना वविलंब होगा, बाद में उतना ही अतरिक्त वित्तीय भार (ब्याज स्वरुप) कंपनियों के ऊपर आएगा। अतः राज्य सरकार की ही भांति विद्युत कंपनियों द्वारा 2006 के पश्चात नियुक्त हुए अभियंताओं के लिए राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS) के अंतर्गत जमा की जाने वाली कंपनियों की अंशदान राशि को 1 अप्रैल 2021 से 14%, करने हेतु सम्बंधितों को जल्द से जल्द निर्देशित करें।