मध्य प्रदेश की विद्युत कंपनियों में एक बार फिर प्रबंधन स्तर पर टेक्नोक्रेट और ब्यूरोक्रेट आमने-सामने आ गए हैं। बिजली कंपनियों में उच्च पदों पर सीधे बिठा दिए गए राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की समझ और निर्णय अनुभवी अभियंताओं के गले नहीं उतर रहे हैं। मप्र विद्युत मंडल अभियंता संघ ने प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मांग की है कि विद्युत कंपनियों में सीजीएम स्तर के पदों पर प्रशासनिक अधिकारियों की नियुक्ति न की जाए।
मप्र विद्युत मंडल अभियंता संघ के महासचिव व्हीकेएस परिहार ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि पूर्ववर्ती अविभाजित मप्र विद्युत मण्डल, जिसमें वर्तमान छत्तीसगढ़ राज्य भी सम्मिलित था, के अध्यक्ष, सदस्य एवं सचिव जैसे अति महत्वपूर्ण सर्वोच्च पदों पर विद्युत मण्डल केअनुभवी अभियन्ताओं को ही पदस्थ किया जाता रहा एवं मप्र विद्युत मण्डल के योग्य वरिष्ठ अभियन्ताओं द्वारा अपने कार्य संचालन में सदैव उच्च स्तर के प्रबंध कौशल का परिचय दिया गया।
उन्होंने कहा कि विद्युत कम्पनियों का कार्य व्यवहार मूल रूप से तकनीकी आधारित है। अत: प्रबंधन के हर स्तर पर तकनीकी दक्षता व कौशल की आवश्यकता होती है। राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को मानव संसाधन विषयों की न तो महारत हासिल होती है और न ही विद्युत कंपनियों में कार्यरत अधिकारियों तथा कर्मचारियों की क्षमता व योग्यता का भान होता है और न ही इस विभाग के उच्च मानदण्डों एवं गौरवशाली परम्परा से उनका परिचय होता है। अत: इस प्रकार की नियुक्तियों से विद्युत वितरण कंपनियों के कार्य निष्पादन में व्यवहारिक जटिलतायें उत्पन होती हैं।
इसी प्रकार विद्युत कंपनियों के वित्त एवं लेखा विभाग में भी राज्य वित्त सेवा के अधिकारियों की अनावश्यक नियुक्तियां की गई हैं। राज्य वित्त सेवा के अधिकारी, जिन्हें विद्युत कंपनियों की तकनीकी एवं विद्युत सम्बन्धी वाणिज्यकीय नियमों पर आधारित कार्य व्यवस्था का अनुभव नहीं होता है, सीधे मुख्य वित्तीय अधिकारी जैसे अति महत्वपूर्ण पद पर नियुक्त कर दिये जाते हैं। इससे भी विद्युत वितरण कंपनियों के कार्य निष्पादन में व्यवहारिक जटिलता व कठिनाईयों का सामना करना पडता है।
उन्होंने कहा कि मुख्य महाप्रबंधक जैसे पद पर राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की नियुक्ति करने के स्थान पर उचित यह होगा कि प्रदेश की सभी विद्युत कंपनियों में इन विद्युत कंपनियों के अभियंताओं को ही नियुक्त किया जाए, साथ ही संचालक (तकनीकी), संचालक (वाणिज्य) एवं प्रबंध संचालक जैसे उच्च पदों पर भी कंपनी के ही योग्य वरिष्ठ विद्युत अभियंताओं की ही नियुक्ति की जाये।
व्हीकेएस परिहार ने कहा कि विद्युत वितरण कंपनियों में निम्न आधारों पर भी योग्य अभियंताओं को मुख्य महाप्रबंधक (प्रशासन) के पद पर पदस्थ करना प्रदेश हित में होगा-
(1) पूर्व में फीडर सैपरेशन योजना में जिला प्रशासन से समन्वय के लिए राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी नियुक्त किये गये थे, किन्तु अब यह योजना पूर्ण हो गयी है। अत: इस सेवा के अधिकारी की कंपनी में उपयोगिता नहीं है।
(2) विद्युत कंपनियों के वरिष्ठ अभियंता इस तकनीकी विभाग की बारीकियों एवं अधिकारियों की अनुभव व प्रतिभा से परिचित होता है। अत: व्यक्ति से सर्वश्रेष्ठ कार्य लेना संभव हो पाता है। बाहर से आने वाले अधिकारी को कंपनी की कार्यप्रणाली की जानकारी न होने से उसकी असफलता और परिणामी अव्यवस्था से कंपनी व सेक्टर को बचाया जा सकेगा।
(3) राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी पे बैण्ड-3 के अधिकारी होते हैं, जबकि विद्युत कंपनियों में बड़ी ज़िम्मेदारी पर पदस्थ अधीक्षण यंत्री तथा इससे उच्च पदों पर पे बैण्ड 4 प्रभावी होता है। कमतर पद वाले व्यक्ति को इस पद पर पदस्थ करते हुए कार्यपालक निर्देशक व मुख्य अभियंता स्तर के अधिकारियों के नियंत्रक के तौर पर पदस्थापित करने से हताशा एवं कुंठा पनपती है और स्वाभाविक रूप से वह अपने कार्य में शत-प्रतिशत कार्यक्षमता प्रदर्शित नहीं कर पाते हैं।
इसके अतिरिक्त वरिष्ठ अधिकारियों को उनसे हर प्रकार से कनिष्ठ अधिकारी के मातहत नियुक्त करना वरिष्ठ अधिकारियों के स्वाभिमान को ठेस पहुंचाने वाला कदम है तथा यह उनके मानव अधिकार का स्पष्ट उल्लंधन भी है।
उन्होंने कहा कि विद्युत वितरण कंपनियों में राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की नियुक्ति से उनकी कार्यप्रणाली के कारण स्थानांतरण, पदस्थापनाओं में भ्रष्टाचार की असीम संभावनाएं रहती है। इसी प्रकार अनावश्यक चार्जशीट, कारण बताओ नोटिस एवं अन्य विभागीय अनुशासनात्मक कार्यवाही के नाम पर समय-समय पर भ्रष्टचार की खबरें प्रकाश में आती रहती हैं।
अभियंता संघ ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि मप्र की सभी विद्युत वितरण कंपनियों में मुख्य महाप्रबंधक (मानव संसाधन एवं प्रशासन) के पद पर राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों तथा राज्य वित्त सेवा के अधिकारियों की मुख्य वित्तीय अधिकारी के पद पर पदस्थापना को तत्काल निरस्त कर विद्युत कंपनियों के वरिष्ठ अभियंताओं एवं विद्युत कंपनी के वित्तीय विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को ही इन पदों पर पदस्थ किया जाना न केवल विद्युत वितरण कंपनियों बल्कि समग्र रूप से प्रदेश के उपभोक्ता एवं संपूर्ण प्रदेश के हित में होगा। इसी क्रम में यह भी निवेदन है कि राज्य शासन द्वारा विद्युत कंपनियों के संचालक (तकनीकी), संचालक (वाणिज्य) एवं प्रबंध संचालक के पद पर भी इन कंपनियों के ही वरिष्ठ विद्युत अभियंताओं की पदस्थापना के संबंध में कार्यवाही सुनिश्चित की जाये।