शासकीय महाकौशल कालेज में जंगल राज: वित्तीय अतिथि विद्वानों का आर्थिक शोषण हो बंद

मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने जारी विज्ञप्ति में बताया कि प्रदेश के शासकीय एवं स्वाशासी महाविद्यालयों में नियमित प्राध्यापक एवं सहायक प्राध्यापकों के पद रिक्त हैं। जिसे देखते हुए अतिथि विद्वानों को नियुक्त कर सम्मानजक मानदेय दिये जाने का प्रावधान है। किन्तु शासकीय महाकौशल कला एवं वाणिज्य स्वाशासी महाविद्यालय जबलपुर की प्राचार्य द्वारा विगत पांच माह से वित्तीय अतिथि विद्वानों का मानदेय भुगतान नहीं किया जा रहा है।

उक्त अतिथि विद्वानों को न्यूनतम 825 प्रति कार्य दिवस तथा पूरे माह में मात्र 12000 रुपये भुगतान किये जाने का प्रावधान है। प्राचार्य द्वारा स्वयंभू नियमों से न्यूनतम मानदेय 825 से घटाकर 400 प्रति कार्यदिवस कर दिया गया है, जिसका भुगतान भी प्राचार्य द्वारा नहीं किया गया है। प्राचार्य की इस तानाशाही के चलते महाविद्यालय में कार्यरत अतिथि विद्वानों को अपना एवं अपने परिवार का भरण पोषण करने में भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

संघ के संघ के योगेन्द्र दुबे, अर्वेन्द्र राजपूत, अवधेश तिवारी, अटल उपाध्याय, मंसूर बेग, शहजाद द्विवेदी, रजनीश पाण्डे, अजय दुबे, दालचन्द पासी, सतीश उपाध्याय, जयप्रकाश गुप्ता, मुन्नालाल पटैल, मनोज खन्ना, राजेश चतुर्वेदी, गोविन्द विल्थरे, डीडी गुप्ता, रजनीश तिवारी आदि ने उच्च शिक्षा मंत्री एवं प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा मप्र शासन को ई-मेल के माध्यम से पत्र प्रेषित कर वित्तीय अतिथि विद्वानों का लंबित वेतन का भुगतान शासन द्वारा निर्धारित दर से कराया जावे तथा ऐसी तानाशाही एवं हटधर्मिता करने वाली प्राचार्य पर अनुशासनात्मक कार्यवाही की जावे, अन्यथा संघ आन्दोलन हेतु बाध्य होगा।