मध्य प्रदेश की सभी विद्युत कंपनियों में कार्यरत 45000 आउटसोर्स कर्मचारी अपनी विभिन्न मांगों के समर्थन में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गये हैं, जिसके चलते प्रदेश की बिजली व्यवस्था बुरी तरह चरमराने लगी है। इसका असर सीधे विद्युत उपभोक्ताओं पर पड़ रहा है और उन्हें अपनी शिकायतों के निराकरण के लिये प्रतीक्षा करनी पड़ रही है।
विद्युत कंपनियों का मुख्यालय कहे जाने वाले जबलपुर में भी आउटसोर्स कर्मचारी मप्र बिजली आउटसोर्स कर्मचारी संगठन के प्रांतीय संयोजक मनोज भार्गव के नेतृत्व में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गये हैं। हड़ताल के पहले दिन आउटसोर्स कर्मचारियों ने जबलपुर सिटी सर्किल के अधीक्षण अभियंता सुनील त्रिवेदी और जबलपुर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर उनकी मांगे पूरी किये जाने की मांग की।
आउटसोर्स कर्मचारियों की मुख्य मांग है कि सभी विद्युत कंपनियों में कार्यरत आउटसोर्स कर्मचारियों का कंपनियों में संविलियन किया जाये। इसके अलावा सब-स्टेशनों में पदस्थ कर्मचारियों को कुशल श्रमिक का मानदेय दिया जाये। साप्ताहिक अवकाश दिया जाये। 60 वर्ष की आयु तक कार्य कराया जाये। प्रशिक्षण दिया जाये। विद्युत दुर्घटना होने पर संविदा नियुक्ति दी जाये। सभी कर्मचारियों को आईडी कार्ड दिया जाये। सुरक्षा उपकरण दिये जायें। ठेकेदारी प्रथा समाप्त की जाये। इस दौरान संगठन के पवन कश्यप, सुखदेव झारिया, दिलीप दुबे, किशन लाल, भगवती काछी आदि उपस्थित रहे।
वहीं प्रदेश स्तर पर जारी अनिश्चितकालीन हड़ताल का असर दिखाई देने लगा है। इस वजह से पूरे प्रदेश में बिजली सेवाएं प्रभावित होना शुरू हो गई हैं। वहीं आउटसोर्स कर्मचारी अपनी मांग को लेकर अड़े हुए हैं, उनका कहना है कि कुछ दिन पहले ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह ने आउटसोर्स कर्मचारियों की मांगें पूरा करने के लिए आश्वासन दिया था। लेकिन तय समय पर मांग पूरी नहीं की गईं। हर बार सिर्फ आश्वासन दिया जाता है, यही कारण है कि अब सभी कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल करने को मजबूर हैं।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश की सभी विद्युत कंपनियों में लगभग 45,000 आउटसोर्स कर्मचारी कार्यरत हैं। जिनमें मुख्य रूप से इनसे विद्युत तंत्र का मेंटेनेंस, उपभोक्ताओं की शिकायतों का निराकरण, सब-स्टेशनों में तैनाती, राजस्व वसूली, मीटर रीडिंग, बिल वितरण, नए कनेक्शन, फाल्ट का सुधार आदि कार्य कराये जाते हैं।