मध्य प्रदेश में शासकीय अधिकारियों व कर्मचारियों का जनवरी 2019 के बाद 33 माह से महंगाई भत्ता नहीं बढ़ाया गया, 2003 से समूह बीमा योजना में अंशदान की राशि नहीं बढ़ाई गई है। 200 रुपये के स्थान पर 1000 रुपये अंशदान किया जावे, 15 वर्षो से प्रदेश के कर्मचारियों का आवास भत्ता नहीं बढ़ाया गया है, मात्र 16 सौ रुपये माह दिया जा रहा है, जबकि 7 वें वेतनमान के अनुसार आवास भत्ता करीबन 7 हजार रुपये मिलना चाहिए। जो नहीं दिया जा रहा है।
आवास भत्ता केन्द्रीय कर्मचारियों के समान दिया जावे। जुलाई 2020 की वेतन वृद्धि जो 2021 में दी गई है, उसका 12 माह की अवधि का एरियर्स नहीं दिया गया है। रमेशचंद शर्मा आयोग की अनुसंशा के अनुसार लिपिकों की वेतन विसंगति में सुधार नहीं किया जा रहा है। सरकार ने वेतन विसगति में सुधार करने आयोग बनाया था।
भारत सरकार की आयुष्मान योजना कार्ड की सुविधा समस्त कर्मचारियों, पेंशन भोगियों उनके परिजनों को नही दी जा रही, मुख्यमंत्री राज्य बीमा योजना के तहत निजी अस्पतालों में इलाज की सुविधा प्रदान नहीं की जा रही है। इलाज के आभाव में सरकारी कर्मचारी और उनके परिजन वे मौत मरने मजबूर है,
प्रदेश में लंबे समय से कर्मचारियों और अधिकारियों को पदोन्नति का लाभ नहीं दिया जा रहा है। बिना पदोन्नति के हजारों अधिकारी और कर्मचारी रिटायर हो चुके है। इन्हें लाखों रुपये की आर्थिक हानि उठानी पड़ रही है।
प्रदेश स्तर पर कर्मचारियों की समस्याओं का निदान ना होने से परेशान अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के आह्वान पर प्रदेश की 342 तहसीलों में प्रदर्शन कर मांग पत्र सौंपा जा रहा है। प्रदेश सरकार द्वारा कर्मचारियों का खुला शोषण किया जा रहा है, कर्मचारियों को अधिकारों से वंचित किया जा रहा है।
मोर्चा के संरक्षक योगेन्द्र दुबे, जिला अध्यक्ष अटल उपाध्याय, विश्वदीप पटैरिया, नरेश शुक्ला, योगेश चौधरी, संतोष मिश्रा, प्रसात सोधिया, संजय गुजरपाल, मुकेश चतुवेर्दी, रवि दहायत, मुकेश मरकाम, योगेश उपाध्याय, प्रदीप पटैल, अजय दुबे, यू.एस. करोसिया अजय सोनकर, राजेन्द्र त्रिपाठी, देव दोनोरिया, चंदू जाउलकर, अर्जुन सोमवंशी, पीएल गौतम, रवि बांगड, संतोष दुबे द्वारा जबलपुर तहसीलदार को मुख्यमंत्री के नाम का ज्ञापन सौपा गया।